चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने बताया कि किसी भी बीमारी की रोकथाम इलाज से बेहतर होती है। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी पहल है और हम सभी मिलकर इस मुहिम में मीजल्स और रूबेला बीमारियों को मप्र से जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने इसकी निगरानी और ई-वीआईएन (इलेक्ट्रॉनिक वेक्सीनेशन इंटेलिजेंट नेटवर्क) एप के बारे में बताया जो प्रदेश में कोल्ड चेन को ट्रैक करने में सहायक होती है। उन्होंने बताया कि यह अभियान स्वास्थ्य विभाग की मदद से निजी और सरकारी स्कूलों में 9 महीने से 15 साल तक के बच्चों तक पहुंचेगा।
देश में अब तक 25 करोड़ ब’चो का हो चुका है टीकाकरण
यूनिसेफ मप्र के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मैनक चटर्जी ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य भारतवर्ष को 2020 तक मीजल्स और रूबेला से मुक्ति दिलाना है। अब तक इस अभियान के अंतर्गत 28 प्रदेशों व 7 संघशासित प्रदेशों में 25 करोड़ ब’चो का टीकाकरण हो चुका है। ब’चो से संवाद करते हुए यूनिसेफ मध्य प्रदेश के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि यह समझने कि जरुरत है कि यह टीका स्कूल जाने वाले बच्चों को लगने वाला है, इसलिए यह महत्तवपूर्ण है कि ब’चे मीजल्स और रूबेला के संचारक बनकर अपने परिवार और दोस्तों के बीच इस पर बातचीत कर उनको टीकाकरण के लिए प्रेरित करें।
कार्यक्रम के अंत में बच्चों सहित सभी प्रतिभागियों ने मीजल्स और रूबेला बीमारी को जड़ से मिटने का संकल्प लिया। उन्होंने सोशल मीडिया जागरूकता के लिए रंगोत्सव और मीजल्स और रूबेला अभियान के फ्रेम में सेल्फी भी ली। कार्यक्रम में सीआरओ से रघुराज सिंह, अनुराग और भगवान भी उपस्थित रहे।