जांच के दाम हो जाएंगे कम
मप्र पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन ने सीपीएल से की जाने वाली जांचों के रेट्स भी तय किए हैं। यह सरकारी से 31 फीसदी कम हैं। जैसे अभी सीजीएचएस में हीमोग्लोबिन जांच 21 रुपए में होती है, जो करीब छह रुपए में होगी। प्लेटलेट काउंट 55 की जगह 17 रुपए, यूरिया 62 की जगह 19 रुपए में होगी। कैंसर की जांच 111 रुपए में हो जाएगी।
मप्र पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन ने सीपीएल से की जाने वाली जांचों के रेट्स भी तय किए हैं। यह सरकारी से 31 फीसदी कम हैं। जैसे अभी सीजीएचएस में हीमोग्लोबिन जांच 21 रुपए में होती है, जो करीब छह रुपए में होगी। प्लेटलेट काउंट 55 की जगह 17 रुपए, यूरिया 62 की जगह 19 रुपए में होगी। कैंसर की जांच 111 रुपए में हो जाएगी।
यह होगा फायदा
-जांच अत्याधुनिक मशीनों से होगी, जिससे गुणवत्ता बेहतर रहेगी।
-जांच के लिए 5 पार्ट एनालाइजर लगाए जाएंगे जो आधुनिक हैं।
-मरीजों को कंप्यूटराइज रिपोर्ट तय समय पर मिल जाएगी।
-ऑनलाइन रिपोर्ट लेने की सुविधा भी रहेगी।
-सभी जांचें एक जगह पर हो जाएंगी।
-जांच अत्याधुनिक मशीनों से होगी, जिससे गुणवत्ता बेहतर रहेगी।
-जांच के लिए 5 पार्ट एनालाइजर लगाए जाएंगे जो आधुनिक हैं।
-मरीजों को कंप्यूटराइज रिपोर्ट तय समय पर मिल जाएगी।
-ऑनलाइन रिपोर्ट लेने की सुविधा भी रहेगी।
-सभी जांचें एक जगह पर हो जाएंगी।
अभी यह दिक्कत
– जांच के लिए सेमी ऑटो एनालाइजर उपयोग किए जा रहे हैं। इसमें कुछ काम मैन्युअल होता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। समय भी ज्यादा लगता है।
– मरीजों को अलग-अलग जांचों के लिए कई बार ब्लड देना पड़ता है।
– जांच के लिए तीन बार कतार में लगना पड़ता है। एक बार पर्चे पर नंबर चढ़वाने के लिए, फि र सैंपल देने के लिए और बाद में रिपोर्ट लेने के लिए।
– अभी कई बार जांच की क्वालिटी को लेकर सवाल उठते हैं। एक ही मरीज की जांच रिपोर्ट जिला अस्पताल में अलग और दूसरी लैब में अलग आती है।
– जांच के लिए सेमी ऑटो एनालाइजर उपयोग किए जा रहे हैं। इसमें कुछ काम मैन्युअल होता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। समय भी ज्यादा लगता है।
– मरीजों को अलग-अलग जांचों के लिए कई बार ब्लड देना पड़ता है।
– जांच के लिए तीन बार कतार में लगना पड़ता है। एक बार पर्चे पर नंबर चढ़वाने के लिए, फि र सैंपल देने के लिए और बाद में रिपोर्ट लेने के लिए।
– अभी कई बार जांच की क्वालिटी को लेकर सवाल उठते हैं। एक ही मरीज की जांच रिपोर्ट जिला अस्पताल में अलग और दूसरी लैब में अलग आती है।
जांच करने वाली कंपनी को अंतरराष्ट्रीय स्तर की मशीनें लगाना है। बार कोडिंग सिस्टम भी रहेगा। गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी।
जे. विजय कुमार, एमडी, मप्र पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन
जे. विजय कुमार, एमडी, मप्र पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन