दरअसल देश में चिकित्सा शिक्षा का नए सिरे से नियमन करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 (मेडिकल कमीशन बिल / National Medical Commission ) लोकसभा में पेश किया जा चुका है। विधेयक के जरिए सरकार चिकित्सा शिक्षा में बदलाव ( Medical Council of India ) करने जा रही है।
जिसका सीधा असर मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों पर भी पड़ेगा। बिल में प्रस्तावित आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों ( private medical colleges ) और डीम्ड यूनिवर्सिटी की केवल 50प्रतिशत सीटों के लिए फीस तय कर सकेगा। जबकि बाकि 50 प्रतिशत सीटें नियंत्रण के बाहर होंगी।
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में अभी 6 निजी मेडिकल कॉलेजों ( private medical colleges ) ही मान्यता प्राप्त है। ऐसे में ये नए नियम इन सभी 6 कॉलेजों पर लागू होंगे।
ऐसे समझें नया नियम… इस नए कानून के जरिए पहले से भंग चल रही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ( MCI / एमसीआइ ) की जगह अब नेशनल मेडिकल कमीशन ( NMC / एनएमसी ) बनाया जाएगा।
एनएमसी को ऐसे समझें:
25 सदस्य होंगे नेशनल मेडिकल कमीशन में।
कमीशन का अध्यक्ष डॉक्टर ही बन सकेगा।
देश में मेडिकल शिक्षा को विनियमन करेगा कमीशन। प्रैक्टिस करने के लिए एग्जिट टेस्ट जरूरी:
विधेयक में एमबीबीएस के बाद एक कॉमन परीक्षा नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) का प्रावधान है। इसे पास करने के बाद ही डॉक्टरोंं को लाइसेंस मिलेगा।