शहर का पहला सुपरस्पेशलिटी अस्पताल भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में भी सुविधाओं की कमी है। मरीजों ने बताया कि यहां इलाज के लिए की कई दवाएं तो मरीजों से ही मंगाई जा रही हैं। अस्पताल में कई जीवन रक्षक दवाओं की कमी हो गई है। गैस कांड में प्रभावित लोगों के इलाज के लिए ये अस्पताल बनाया था।
बीएमएचआरसी में हर रोज करीब पांच सौ मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीज ज्यादा हैं। करीब 700 बिस्तर वाले अस्पताल में चिकित्सकों की कमी तो यहां पहले से है, लेकिन इन दिनों मरीजों को दवाएं भी नहीं मिल रही।
गैस पीडि़तों के बने इस अस्पताल में इलाज की सुविधा मुफ्त रखी गई है। नाम न बताने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि दवा खरीदी की प्रक्रिया में रुकावट आ गई है, जिसके कारण ये हालात बने हैं।
गैस पीडि़तों के सभी अस्पतालों के एक जैसे हाल
शहर में गैस पीडि़तों के लिए 6 बड़े अस्पताल हैं। यहां करीब ढाई हजार लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से ज्यादातर गैस पीडि़त और इन पीडि़तों के आश्रित शामिल हैं। सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है।
अस्पतालों के इंतजाम की निगरानी करने सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी भी बनाई है। यहां की स्थिति को लेकर मामले में कमेटी ने हाई कोर्ट में रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है।
गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार ने बताया कि इस मामले में हाल में ही सुनवाई हुई है। मेडिकल व्यवस्था की निगरानी करने वाली समिति ये मामला कोर्ट लेकर गई है।
अस्पताल में चिकित्सकों और दवाओं की कमी को लेकर मामला आया था। इस संबंध में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को भेजी है। व्यवस्था सुधारने कमेटी अपनी तरह से कोशिश कर रही है।
पूणेन्दु शुक्ला, सदस्य सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग कमेटी