जवाब में बिजली विभाग के सहायक महाप्रबंधक ग्रामीण प्रदीप चौहान ने कहा कि गांवों में कहीं भी बिजली कटौती नहीं की जा रही है। सिर्फ मेंटेनेंस के लिए सप्लाई बंद की जाती है। दोनों की बात सुनकर जिला पंचायत के सीईओ सतीश कुमार एस ने दोनों अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा कि बिजली सप्लाई और पानी सप्लाई किसी प्रकार से बाधित नहीं होनी चाहिए।
पानी की किल्लत का मुद्दा उठाया
बैठक शुरू होते ही सदस्यों ने जिले की करीब डेढ़ सौ पंचायतों के साढ़े चार सौ गांवों में पानी की किल्लत का मुद्दा उठाया। जिस पर पीएचई के कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि सिर्फ 23 ग्राम पंचायतों में नल जल योजना बंद है, जबकि इन गांवों में हैंडपंप पानी दे रहे हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष मनमोहन नागर ने कहा कि गांवों में बिजली की लाइनों को ठीक ढंग से नहीं लगाया गया है, जिसकी वजह से तार टूट रहे हैं।
बिजली कटौती पर जताई नाराजगी
अध्यक्ष ने बैठक में बताया कि जिले में बीडीए ने 53 खेल मैदान बनाए हैं। प्रति मैदान 9 लाख का खर्च आया है, जबकि ऐसे मैदान पंचायत साढ़े चार लाख रुपए में बना देती। इसी तरह करीब दो सौ आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में अनियमितता बरती गई है। इसको लेकर जनपद अध्यक्ष फंदा आरती यादव ने कहा कि इन मैदान और भवनों की जांच होनी चाहिए। सीईओ ने कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए।
आंगनबाड़ी में नहीं बिजली कनेक्शन
सदस्यों ने जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली कनेक्शन नहीं होने का मुद्दा उठाया। जिस पर महिला बाल विकास के अधिकारी रामगोपाल यादव ने बताया कि केंद्रों में बिजली कनेक्शन का प्रावधान हीं नहीं है। अध्यक्ष ने उन्हें फटकारते हुए कहा आपको कुछ नहीं मालूम रहता है। जानकारी लेकर आया करो। बच्चों को गर्मी में बिठाना ठीक नहीं है।