इसके पहले जिला प्रशासन ने मंडी में चल रहे पीडीएस के गेंहू की कालाबाजारी मामले में मंडियों का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें खुलासा हुआ था कि प्रदेश के गरीबों को मिलने वाले पीडीएस के गेहूं में हुए भ्रष्टाचार से सरकार को हर महीने लाखों का नुकसान हुआ है। जिसके बाद से प्रशासन ने छापेमार की कार्यवाई तेज करते हुए शुक्रवार को 5 व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त कर दिया है।
यहां हुई थी छापेमारी जिला प्रशासन ने विक्की ट्रेडर्स के गोदाम में छापेमार कार्रवाई के दौरान हजारों क्विंटल पीडीएस का गेहूं बरामद किया। मिली जानकारी के अनुसार नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा जो गेहूं सीधे राशन की दुकानों में जाना था उस गेहूं को सीधे करोंद मंड़ी में बेचा जा रहा है। जिला प्रशासन अधिकारी प्रताप सिंह ने बताया कि इस पूरे भ्रष्टाचार मामले में नागरिक आपूर्ति निगम से लेकर वेयर हाउस, ट्रांसपोर्टर और राशन की दुकान शामिल है।
1 रुपए का गेहूं 8 रुपए में सरकार किसानों से गेंहू खरीद कर प्रदेश के गरीब लोगों तक पहुंचाने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम बनाया है। इसके पास पीडीएस गेहूं को राशन की दुकान में गरीबों तक 1 रुपए में पहुंचाने का जिम्मा होता है। लेकिन यही विभाग एक रुपए किलो वाले गेहूं को सीधे व्यापारियों को चोरी छुपे 8 रुपए किलो में बेच देते है। व्यापारी 8 रुपए में गेहूं खरीदकर उसे 15 रुपए किलो में बेचते है।
ऐसे चलता है पीडीएस गेंहू का गोरखधंधा दरअसल, सरकार गरीबों तक आनाज पहुंचाने के लिए पूरा ठेका नागरिक आपूर्ति विभाग को दे रखा है। नागरिक आपूर्ति विभाग हर महीन वेयर हाउस गेंहू पहुंचाने का काम करता है। वेयर हाउस के अंदर रखे गेहूं में गोलमाल कर रिकॉर्ड को बराबर बताया जाता है। कागजों पर पूरा माल राशन की दुकानों तक पहुंचना बताया जाता है। साथ ही दूसरी तरफ राशन की दुकानों पर भी कागजों पर वेयर हाउस से आए गेंहू को गरीबों को बाटना बता दिया जाता है। वहीं जानकारों का कहना है कि इस पूरे भ्रष्टाचार में अधिकारी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कर्मचारी की मिलीभगत से ये घोटाला किया जाता है।
जिला प्रशासन ने करोंद मंदी की कार्रवाई के बाद पूरे व्यवस्था की जांच करने की बात कहीं है। उनका कहना है कि ये घोटला भोपाल में ही नहीं चल रहा, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में पीडीएस गेहूं में गोरखधंधा किया जा रहा है।