अशोका गार्डन स्थित मंदिर समिति और पाठशाला समिति की ओर से जैन मेले का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न जिनालयों की पाठशाला के बच्चों द्वारा जैन मेले में खान-पान के साथ विभिन्न संदेश देते हुए स्टाल लगाए गए थे, बच्चों में बाहरी खान-पान और जंक फूड की प्रवृत्ति से बचने के संदेश के लिए बच्चों द्वारा स्वयं भारतीय व्यंजन के साथ भारतीय शुद्ध पेय के स्टाल लगाए गए।
मन और इंद्रियों के पूर्ण विराम से जागती है चेतना
चौक जैन धर्मशाला में आयोजित प्रवचन में मुनिश्री भूतबली सागर महाराज ने कहा कि इंद्री और मन को पूर्ण विराम देने पर ही अन्दर की चेतना जागृत होती है, इसी का नाम है साधना है, इसलिए मन और इन्द्रियों पर हमेशा संयम रखो, इन्हें वश में रखो, मन और इंद्रियां भटकेगी तो हम भी संसार में भटकते रहेंगे ।
चौक जैन धर्मशाला में आयोजित प्रवचन में मुनिश्री भूतबली सागर महाराज ने कहा कि इंद्री और मन को पूर्ण विराम देने पर ही अन्दर की चेतना जागृत होती है, इसी का नाम है साधना है, इसलिए मन और इन्द्रियों पर हमेशा संयम रखो, इन्हें वश में रखो, मन और इंद्रियां भटकेगी तो हम भी संसार में भटकते रहेंगे ।
भटकने से बचने और स्वयं में स्वयं के ठहराव के लिए इंद्रियों और मन पर अंकुश अत्यंत आवश्यक है । मुनिश्री ने कहा कि जब इन्द्रियां पूरी तरह विराम ले लेती हैं तब साधना प्रारम्भ होती है, जब कोई व्यक्ति विचारों की गहराई में उतरता है, तो आंखों का चश्मा सिर के ऊपर रख लेता है, उस समय आंखें बंद करके सोचता है और अपनी समस्या का समाधान उसे प्राप्त हो जाता है, इसलिए इन्द्रियों और मन को सदैव वश में रखना चाहिये क्योंकि संयम के अभाव में विवेक नहीं रहता और संयम तभी रहेगा जब हम इन पर काबू रखेंगे।
अशोका गार्डन स्थित मंदिर समिति और पाठशाला समिति की ओर से जैन मेले का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न जिनालयों की पाठशाला के बच्चों द्वारा जैन मेले में खान-पान के साथ विभिन्न संदेश देते हुए स्टाल लगाए गए थे, बच्चों में बाहरी खान-पान और जंक फूड की प्रवृत्ति से बचने के संदेश के लिए बच्चों द्वारा स्वयं भारतीय व्यंजन के साथ भारतीय शुद्ध पेय के स्टाल लगाए गए।