भोपाल

मेट्रो प्रोजेक्ट ने बावडिय़ा आरओबी की भी बिगाड़ी डिजाइन, बनेगी ट्रैफिक फाल्ट की स्थिति

होशंगाबाद रोड की दूसरी तरफ उतारना था आरओबी

भोपालDec 08, 2019 / 01:42 am

Bharat pandey

मेट्रो प्रोजेक्ट ने बावडिय़ा आरओबी की भी बिगाड़ी डिजाइन, बनेगी ट्रैफिक फाल्ट की स्थिति

भोपाल। मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते सुभाष आरओबी के बाद अब बावडिय़ा आरओबी में भी डिजाइन बदलने से ट्रैफिक फाल्ट की स्थिति बन गई है। बावडिय़ा आरओबी पहले होशंगाबाद रोड क्रॉस कर दूसरी तरफ उतारना था। इसे कटारा हिल्स से आने वाली डबललेन रोड से जोडक़र कनेक्टिविटी दी जानी थी।

मेट्रो कंपनी ने होशंगाबाद रोड से मेट्रो रेल का रूट निकालने का हवाला देकर पीडब्ल्यूडी को डिजाइन बदलने कहा था। इसके बाद आरओबी को विद्या नगर के पास लाकर लैंड करवा दिया गया। यहां वाहनों को नीचे उतरने और चढऩे दो रास्ते बनाए जा रहे हैं। होशंगाबाद रोड साइड से चढऩे वाले रास्ते से ब्रिज पर चढऩे वाले वाहनों को खास दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन बागसेवनिया थाने की तरफ जाने वाला हिस्सा आगे ट्रैफिक में फंस रहा है। दानापानी से चढक़र बागसेवनिया थाना जाने वाले और वापस मिसरोद तरफ आने वाले वाहन थाने के ट्रैफिक सिग्नल के ग्रीन होते ही यूटर्न लेंगे। इसी दौरान होशंगाबाद रोड और डेडीकेटेड लेन के वाहन भी आगे बढ़ेंगे। एक ही दिशा की तीन सडक़ों से आने वाले वाहन आपस में टकराएंगे, इससे ट्रैफिक फाल्ट की स्थिति बन रही है। पीडब्ल्यूडी ने अब इस समस्या से निपटने के लिए ट्रैफिक पुलिस और मैनिट के एक्सपर्ट से सलाह मांगी है।


सुभाष आरओबी के साथ भी ऐसा ही हुआ था
बोर्ड ऑफिस चौराहे से रायसेन रोड, प्रभात चौक तक फर्राटा भरने के लिए बन रहा सुभाष नगर रेलवे ओवर ब्रिज मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के चलते एक्सीडेंटल जोन बन गया है। मैदा मिल साइट पर गलत तरीके से ब्रिज की लैडिंग बनना इसकी प्रमुख वजह बताई गई है। पहले आरओबी की लैडिंग मैदा मिल साइट पर सडक़ के बीचोंबीच बनाई जानी थी, ताकि वाहन आसानी से मुख्य मार्ग के टै्रफिक में शामिल हो सकें। अगस्त 2016 में एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने पीडब्ल्यूडी के डिजाइन पर आपत्ति जताई थी। स्टड फार्म में मेट्रो डिपो बनाने का तर्क देकर ब्रिज की लैडिंग सडक़ किनारे बनवाई गई।


इन इलाकों के वाहन निकलेंगे
बावडिय़ाकलां आरओबी के बनने से कोलार, शाहपुरा, चूनाभट्टी, दानापानी में रहने वाली लाखों की आबादी को होशंगाबाद रोड, मिसरोद, कटारा हिल्स तक पहुंचने के लिए सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी। अभी यही आबादी बावडिय़ाकलां रेलवे फाटक पर निर्भर है, जो दिन में 100 से ज्यादा बार बंद होता है।

 

ट्रैफिक लोड ऐसे बढ़ेगा
बावडिय़ाकलां फाटक के दिन भर बंद रहने से रोजाना यहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या लगभग 30 हजार आंकी गई है। ज्यादातर वाहन 10 नंबर चौराहे से घूमकर फ्रेक्चर अस्पताल होते हुए सावरकर सेतु के नीचे से गुजरते हुए बीआरटीएस पर आते हैं। आरओबी बनने के बाद यही गाडिय़ां सीधे ब्रिज से जाएंगी।

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