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भोपाल में पीपीपी मोड पर बनेंगे बाकी के रूट, यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक भी करेगा फाइनेंस

केंद्र की नई मेट्रो रेल पॉलिसी: मल्टीनेशनल कंपनियां भी प्रोजेक्ट में कर सकेंगी निवेश

भोपालOct 04, 2018 / 01:37 am

Ram kailash napit

Metro Rail

भोपाल . केंद्र सरकार की मेट्रो रेल पॉलिसी की खास बात ये है कि प्रोजेक्ट लागू करने वाले राज्य मल्टी नेशनल कंपनियों को शामिल कर सकेंगे। राज्य सरकारें पीपीपी मोड पर एग्रीमेंट कर मेट्रो परियोजना को संचालित कर सकेंगी। इससे महंगे कर्ज और ब्याज के वित्तीय भार से बचा जा सकेगा। एमपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने भोपाल-इंदौर के बाकी चरण पीपीपी मोड पर तैयार करने का फैसला लिया है। कॉर्पोरेशन बड़े उद्योग घरानों को साझेदार बनने का ऑफर देगा। शहर में 7 रूट वाले प्रोजेक्ट पर पहले फेज में एम्स से करोंद के बीच रूट नंबर दो पर काम चालू होगा। इस हिस्से पर भी पहले एम्स से सुभाष नगर तक 6.299 किमी लंबा रूट बनेगा।

पहला फेज कहां से कहां तक
मेट्रो का रूट नंबर 2 एम्स से करोंद तक 14.33 किमी लंबा है। काम की शुरुआत एम्स से सुभाष नगर तक रूट बनाने से की जाएगी। रूट नंबर दो के स्टॉपेज में करोंद चौराहा, कृषि उपज मंडी, डीआईजी बंगला, सिंधी कालोनी, नादरा बस स्टैंड, भारत टॉकीज, पुल बोगदा, ऐशबाग स्टेडियम के पास, सुभाष नगर अंडरपास के पास, मैदा मिल केंद्रीय विद्यालय, डीबी मॉल, बोर्ड ऑफिस, प्रगति पेट्रोल पंप, मानसरोवर कॉम्पलेक्स, हबीबगंज नाका, अलकापुरी, एम्स शामिल है।
इनसे मिली एनओसी
भोपाल मेट्रो यूरोपियन इंवेस्टमेंट फायनेंस करेगा जबकि इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट एशियन डेवलपमेंट बैंक और न्यू डेवलपमेंट बैंक फायनेंस करेंगे। तीनों बैंक सहित केंद्र सरकार के पब्लिक इंवेस्टमेंट बोर्ड प्रोजेक्ट पर अपनी मंजूरी दे चुके हैं।
वर्क ऑर्डर जारी
कंपनी ने बुधवार को भोपाल-इंदौर में पहले फेज का काम करने वाली कंपनी दिलीप बिल्डकॉन के नाम लेटर ऑफ इंडेंट यानी वर्क ऑर्डर जारी कर दिया है। प्राइवेट कंपनी दोनों शहरों में अपने कास्टिंग यार्ड बनाएगी। कंपनी के इंजीनियर अभी रूट के नक्शे और डिजाइन तैयार कर रहे हैं।

मोदी मंत्रिमंडल: रेलवे स्टेशन लीज अवधि अब 99 साल
मोदी मंत्रिमंडल ने बुधवार को रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए लीज की अवधि 45 से बढ़ाकर 99 साल करने को मंजूरी दे दी। दरअसल, तीन साल पहले रेल मंत्रालय ने 600 स्टेशनों के विकास की योजना बनाई थी, लेकिन, हबीबगंज व गांधीनगर को छोड़कर अन्य किसी स्टेशन के विकास में निवेशकों ने कोई रूचि नहीं दिखाई। इसके तहत ऐसे विस्तृत और आधुनिक स्टेशन तैयार होंगे, जो मिनी स्मार्ट सिटी के तौर पर कार्य करेंगे।
11 साल पुराना सपना
भोपाल-इंदौर में मेट्रो का सपना 11 साल पुराना है। वर्ष-2007 में तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने मेट्रो का ऐलान किया था। पहले दिल्ली मेट्रो कॉर्पोरेशन ने भोपाल-इंदौर मेट्रो के लिए डीपीआर बनाई। गौर के नगरीय प्रशासन विभाग से हटने के बाद इस डीपीआर को रद्द करके काम जायका कंपनी और रोहित एसोसिएट्स को दिया गया। इसके बाद से प्रोजेक्ट लेट होता गया। तीन सालों में इस प्रोजेक्ट के काम में तेजी आई है। हालांकि इतने सालों की देरी से मेट्रो में औसत खर्च 150 करोड़ से बढ़कर 250 करोड़ प्रति किमी हो गया है।

मेट्रो फंड मैनेजमेंट प्लान (करोड़ में)
पहले फेज की लागत- 6962.92
60 फीसदी कर्ज और बांड से मिलेंगे- 4177.76
राज्य का 20 फीसदी शेयर भी लोन में शामिल- 1392.58
बाकी का 20 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार से- 1392.58
 

दोनों शहरों के लिए कंपनी को एलओआई जारी कर दिए हैं। सिटी डेवलपमेंट के लिए ये प्रोजेक्ट सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होगा।
विवेक अग्रवाल, प्रमुख सचिव एवं एमडी, एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन

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