दुबे का कहना है कि कभी हरियाली ही भोपाल की पहचान हुआ करते थे, लेकिन विकास के नाम पर सीधे रास्ता यही निकाला जाता है कि पेड़ों को काट दिया जाए, जबकि कई ऐसे विकल्प हैं, जिससे पेड़ों को बचाया जा सकता है, लेकिन ध्यान नहीं दिया जाता। उनका कहना है कि इन पेड़ों के कटने से राजधानी में ऑक्सीजन की प्राकृतिक आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी और प्रदूषण भी बढ़ेगा। उनकी मांग है कि सरकार यदि मेट्रो के लिए पेड़ कटवा रही है तो इससे अधिक संख्या में पौधरोपण की व्यवस्था करे, जिससे भविष्य में हरियाली भी न घटे और ऑक्सीजन भी मिलता रहे।