इसके साथ ही हिस्सा लेने वाली कंपनियों के नेटर्वथ राशि दो करोड़ रूपए निर्धारित कर दिया था। इससे छोटे मिलर निविदा में हिस्सा ही नहीं ले सकें। इस मामले को पत्रिका ने प्राथमिकता से उठाया। इसके बाद निविदा निरस्त कर दी गई। इसके अलावा निगम ने अपनी गलती मानते हुए दोबारा निविदा जारी किया है, जिसमें सौ से अधिक कंपनियों ने हिस्सा लिया।
गेहूं बेचने 56 लाट बनाया
निगम ने 6 लाख 45 हजार मीट्रिक टन गेहूं बेचने के लिए 56 लाट बनाया गया है। एक लाख में करीब 10 से 11 हजार मीट्रिक टन गेहूं रहेगा। प्रत्येक लाट के लिए अलग बोली लगाई जाएगी। एक क्विंटल की कीमत 1590 रुपए रखी गई है। अधिकतम रेट देने वाली कंपनी को ही गेहूं बेचा जाएगा। बताया जाता है कि बाजार मूल्य के आकलन के बाद ही गेहूं की कीमत तय की गई है।
तीन साल पुराना है गेहूं
बताया जाता है कि तीन साल पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदा गया था। यह गेहूं सरकार ने केन्द्र की बिना अनुमति के खरीदा था। कमलनाथ सरकार और शिवराज सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी केन्द्र सरकार ने गेहूं लेने से मना कर दिया। अब सरकार औने पौने दामों में गेहूं बेचने का प्रयास कर रही है।