प्रतिवर्ष इन पौधों को अलग-अलग नर्सरियों में तैयार किया जाता है। बारिश के पहले इन्हें लगाने के लिए गड्ढे खोदने से लेकर, खाद-पानी की व्यवस्था की जाती है। फिर बारिश के मौसम में विभागों द्वारा स्वयं और शहर की विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से जगह-जगह पौधे लगाए जाते हैं। यह क्रम पिछले कई सालों से चला आ रहा है।

आइएसएफआर-2021 की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल की यह है हकीकत
(क्षेत्रफल स्क्वायर किमी में)
बहुत घना जंगल - 0.00
मध्यम घने जंगल -120.77
खुला जंगल - 207.79
कुल जंगल - 328.56
2019 के मुकाबले वन क्षेत्र घटा- -0.11
कुल भौगोलिक क्षेत्र- 2772
हर साल कहां कितने पौधे होते हैं तैयार
- 6.5 लाख के करीब पौधे अहमदपुर
नर्सरी में
- 6.5 लाख पौधे बैरसिया स्थित इमलिया नर्सरी में
- 5 लाख पौधे भदभदा नर्सरी में
-17 से 18 लाख पौधे मानसून के पहले तैयार होते हैं
- 10 से 11 लाख पौधे निकलते हैं हर साल वन विभाग की नर्सरियों से
- 50 हजार पौधे नगर निगम लगाता है हर साल
- 30 हजार पौधे हर साल लगाता है उद्यानिकी विभाग
- 50 हजार पौधे सीपीए की चार नर्सरियों में तैयर होते हैं
1- हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है उनमें से जीवित कितने बचते हैं। ज्यादातर जीवित ही नहीं बचते।
2- अगर दस लाख में से एक लाख पौधे भी बचते हैं तो उन्हें पेड़ बनने में कम से कम सात से दस साल लगेंगे।
3- तीसरा सबसे बड़ा कारण है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई। हमारे यहां पहले से मौजूद जो बड़े पेड़ और घने वृक्ष हैं, वे बड़ी संख्या में काटे जा रहे हैं। आज यदि हम एक बड़ा पेड़ काटते हैं तो वह करीब सौ पेड़ों के बराबर क्षति है।
-सुदेश बाघमारे, पूर्व वन अधिकारी एवं विशेषज्ञ