वही सोने की खदानों की बात करें तो मध्य प्रदेश के दो जिलों में सोने के अकूत भंडार मिले है जिसमें कटनी के इमलिया और सिंगरौली के चकरिया में 200 करोड़ से ज्यादा के सोने के भंडार का पता चला है। कटनी में 6.5 हेक्टेयर में इमलिया की खदान है और सिंगरौली में फल चकरिया खदान का 23.57 हेक्टेयर क्षेत्र है। इन खदानों को प्रदेश सरकार ने नीलाम कर दिया है इन दोनों खदानों की नीलामी 177 करोड़ में हुई है। जिनसे सरकार को 19 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा।
देश में पहली बार नीलाम हुईं सोने की खदानें
देश में पहली बार मध्य प्रदेश में सोने की खदानों की नीलामी की गई है। ये खदानें कंपनियों को 50 साल के लिए दी गई हैं, लेकिन उन्हें तीन साल में माइनिंग प्लान व पर्यावारण सहित अन्य अनुमतियां लेनी होंगी। इस अवधि में कंपनियां ये स्वीकृतियां नहीं ले पाती हैं तो इनका ठेका निरस्त कर दिया जाएगा। सोने की इन दोनों खदानों की नीलामी 5 जुलाई 2019 को छतरपुर की बंदर हीरा खदान के साथ की गई थी। तब नीलामी में सिर्फ एक-एक कंपनी ही शामिल हुई थी। इसके चलते दोबारा टेंडर जारी किया गया। इस बार चकरिया के लिए विनायक इंटर प्राइजेज और गरिमा नेचुरल रिसोर्स कंपनी रायपुर ने टेंडर जमा किया। इमलिया की खदान के लिए सिर्फ प्रोस्पेक्ट रिसोर्स लिमिटेड मुंबई ने नीलामी में हिस्सा लिया।
कहीं भी प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकेंगे
कंपनियां कहीं भी प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकेंगी। दोनों खदानों में सोने की मात्रा कम होने के चलते केन्द्र सरकार ने यह छूट दी है। हालांकि यहां से जितना मटेरियल वे प्रोसेसिंग के लिए ले जाएंगी, उसकी जानकारी खनिज विभाग को देनी होगी।
इनको मिली खदानें
गरिमा नेचुरल रिसोर्स को चकरिया व प्रोस्पेक्ट रिसोर्स लि.मुंबई को अमलिया खदानें मिली हैं। इनको खदान देने के संबंध में लेटर जारी हुआ है। इन्हें 8 जुलाई तक नीलामी की पहली किस्त जमा करनी होगी। गौरतलब है कि इमलिया खदान में 121 करोड़ तो चकरिया में 56 करोड़ के सोने का भंडार है। कंपनियां जितना सोना निकालेंगी, उस हिसाब से सरकार को राशि देनी होगी। साथ ही 4 प्रतिशत रॉयल्टी, 10 प्रतिशत डीएमएफ और २ प्रतिशत नेशलन मिनरल एक्सप्लोरेशन फंड में जमा करना होगा।