जानकारी के अनुसार मप्र विद्युत नियामक आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं से न्यूनतम शुल्क के रूप में 70 रुपये की राशि तय की है। उपभोक्ता बिल्कुल भी बिजली नहीं जलाए तब भी उसे न्यूनतम 70 रुपये का यह शुल्क देय होगा. इसके साथ ही नियत प्रभार के 69 रुपये भी भुगतान करने होंगे। इस तरह हर माह उपभोक्ता को न्यूनतम 139 रुपए देने होंगे. अभी उपभोक्ताओं को करीब 134 रुपये न्यूनतम भुगतान करना पड़ता है।
दरअसल घरेलू बिजली बिल में दो प्रमुख शुल्क रहते हैं— जितनी बिजली खपत हुई वह राशि और नियत प्रभार। अब बिजली कंपनी बिजली खपत 0 होने पर भी बिल लेना चाहती है। यही कारण है कि बिजली खपत का न्यूनतम शुल्क यानि ऊर्जा शुल्क 70 रुपए नियत किया गया है। यानि जरा भी खपत नहीं करने के बावजूद उपभोक्ता से 70 रुपये वसूलेगी। इसके साथ ही 69 रुपये नियत प्रभार है। सभी शुल्क जोड़कर करीब 139 रुपये होते हैं।
क्या है नियम— इधर कुछ उपभोक्ता संगठनों के अनुसार विद्युत अधिनियम में न्यूनतम शुल्क वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है। मप्र विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45 (3) क में उपभोक्ता से सिर्फ फिक्स जार्च लेने की बात कही गई है। इसके अनुसार उपभोक्ता जितनी बिजली जला रहा है उसी का बिल बनना चाहिए। न्यूनतम शुल्क नहीं लिया जा सकता। देश के कई राज्यों— गुजरात,दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी वास्तविक खपत और फिक्स जार्च पर ही बिल जारी होता है। उपभोक्ता से 0 खपत पर कोई न्यूनतम शुल्क नहीं लिया जाता।
फैक्ट-फाइल-
प्रदेश में घरेलू बिजली उपभोक्ता- 118.5 लाख
गैर घरेलू बिजली उपभोक्ता- 10.7 लाख