दरअसल, मध्यप्रदेश की सियासत में कंप्यूटर बाबा ऐसी शख्सियत हैं जो विवादों को लेकर चर्चा?में बने रहते हैं। खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल कंप्यूटर बाबा की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह तो यहां तक कह दिया कि शिक्षित समाज में फर्जी बाबाओं की कोई जगह नहीं है। संत हैं तो तपस्या करें। कांग्रेस के अन्य विधायक और पदाधिकारी उनकी कार्यशैली से नाराज हैं, अफसर परेशान हैं, फिर भी सरकार मौन है। शिवराज सरकार में कंप्यूटर बाबा का प्रभाव रहा। मंत्री का दर्जा दिया गया। पिछले विधानसभा चुनाव के ऐन पहले बाबा ने कांग्रेस का दामन थामा। लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने उन्हें मां नर्मदा, मां क्षिप्रा और मंदाकनी नदी न्यास का अध्यक्ष नियुक्त किया। यह जिम्मेदारी मिलने के बाद से बाबा की उपलब्धियों में छापेमारी के अलावा कुछ नहीं है। इसी के कारण विवादों में आए हैं। आरोप हैं कि बाबा कार्रवाई के लिए दबाव डालते हैं। खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल भी यही कहते हैं कि जरूरी नहीं जिस खदान पर ट्रैक्टर खड़ा है, वहां अवैध खनन हो रहा है। खदानों को पंचायतों से अनुमति होती है, लेकिन बाबा पहुंच जाते हैं तो कार्रवाई के लिए दबाव डालते हैं।
नौकरी छोड़कर बन गए त्यागी
जबलपुर जिले के बरेला के रहने वाले नामदेव त्यागी स्कूल शिक्षक थे। स्कूल की नौकरी छोड़ी और स्वामी रामदेव त्यागी बन गए। 1998 के आसपास जब कंप्यूटर तकनीक जोर पकड़ रही थी, तब एक कार्यक्रम के दौरान साधु-संतों ने अच्छी याददाश्त और तेज दिगाम के कारण इन्हें कंप्यूटर बाबा नाम दे दिया। बाबा लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के शौकीन हैं। वे भक्तों से चैटिंग भी करते हैं।
बाबा को दिग्विजय का साथ
कमलनाथ सरकार में कंप्यूटर बाबा की एंट्री के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सूत्रधार बताए जाते हैं। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के साथ खड़े होने से लेकर सरकार बनने के बाद इन्हें नदी न्यास का अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे दिग्विजय की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। नदी न्यास अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के दौरान भी दिग्विजय विशेष तौर पर मौजूद रहे। लोकसभा चुनाव के दौरान भोपाल से किस्मत आजमाने उतरे दिग्विजय सिंह के समर्थन में कम्प्यूटर बाबा ने भोपालआकर प्रचार किया था।
ऐलान तक सीमित रही नर्मदा घोटाला यात्रा
शिवराज सरकार में कंप्यूटर बाबा ने साधुओं के साथ मिलकर नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने का ऐलान किया था। इसी के बाद शिवराज सरकार ने उन्हें मनाने का प्रयास करते हुए बाबा सहित पांच साधुओं को राज्य मंत्री दर्जा दे दिया था, फिर ऐलान कोरी बात ही रह गई।
फ्लैश बैक : मोदी जीते तो समाधि ले लूंगा
12 अप्रैल 2018: भोपाल के सरकारी गेस्ट हाउस में बाबा को रुकने के लिए कक्ष दिया गया। उन्होंने गेस्ट हाउस की छत पर धुनी रमाई और कक्ष में ताला डालकर चले गए। दरवाजे पर नाम पट्टिका भी चिपका दी थी।
मई 2019: लोकसभा चुनाव के दौरान बाबा ने भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के लिए हठयोग किया। चुनाव आयोग ने जांच के आदेश दिए।
सितम्बर 2019: देव मुरारी बापू ने टीटी नगर थाने में शिकायत की, कम्प्यूटर बाबा ने उन्हें जान से मारने के लिए नकाबपोश शार्प शूटर भेजे हैं। सुरक्षा चाहिए।
अक्टूबर 2019: शिवराज सरकार का दामन छोडऩे के बाद शिवराज को पाखंडी कहते हुए चुनौती दी। सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए हवन किया।
लोकसभा चुनाव: 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया। ऐलान किया, अगर चुनाव में मोदी जीते तो समाधि ले लूंगा। कांग्रेस को करारी हार मिलने के बाद बाबा बयान से पलट गए।
सवालों पर बाबा ने दिए जवाब
सवाल: आखिर न्यास ने नदी संरक्षण के लिए क्या किया?
जवाब: हमारे पास कोई अमला नहीं है। नदियों को बचाने के लिए संतों की टीम लगातार काम कर रही है।
सवाल: आरोप हैं कि आप नियमों से हटकर काम कर रहे हैं?
जवाब: आरोप कौन लगा रहा है, कोई नाम तो बताइए।
सवाल: मंत्री जायसवाल, विधायक लक्ष्मण सिंह ने सवाल उठाए हैं?
जवाब: लक्ष्मण सिंह की टिप्पणी का जवाब दे दिया था। मंत्री प्रदीप जायसवाल के बारे में संत समाज फैसला कर रहा है। दो दिन में ठोस निर्णय लेगा।
सवाल: अवैध उत्खनन करने वालों को आप अभी तक चिह्नित कर पाए हैं?
जवाब: अवैध खनन करने वालों की सूची मुख्यमंत्री को दी है।
सवाल: आपके पास कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है?
जवाब: मेरे पास कोई मद तो नहीं है। पौधे लगा रहे हैंं। इसकी सूचना भी देते हैं। इसके बाद भी सामने वाले का पेट दुख रहा है तो कोई तो कारण होना चाहिए।
हेलिकॉप्टर की मांग कर सुर्खियों में आए
कंप्यूटर बाबा तब अचानक सुर्खियों में आए। उन्होंने कुंभ मेले में हेलिकॉप्टर से आने की मांगी अनुमति थी। इसके बाद कमलनाथ सरकार में नदी न्यास के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही उन्होंने यह कहते हुए हेलिकॉप्टर की मांग की थी कि हवाई सर्वे के माध्यम से नदियों की वास्तविक स्थिति और अवैध उत्खनन का पता चलेगा। हालांकि उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई।
दबाव बना रहे कर्मचारियों पर
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल का कहना है कि बाबा अवैध खनन रोकने के नाम पर खनिज विभाग के कर्मचारियों पर दबाव बना रहे हैं। प्रकरण दर्ज कराए जा रहे हैं। बाबा कोई वैज्ञानिक नहीं हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी के इशारे पर खदानों पर भेजा जाता हो। अवैध खनन रोकने के लिए खनिज विभाग सक्षम है। एक अप्रैल से पूरे प्रदेश में नई नीति के तहत रेत खनन का काम होगा।
नुकसान हो सकता है कांग्रेस को
विधायक लक्ष्मण सिंह का कहना है कि शिक्षित समाज में फर्जी बाबाओं की कोई जगह नहीं है। कंप्यूटर बाबा जैसे फर्जी बाबाओं को शिक्षित समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा। कांग्रेस अगर ऐसे फर्जी बाबाओं को साथ रखेगी तो भविष्य में नुकसान होने की पूरी आशंका है।
नदियां पद, पैसे, पावर से जिंदा नहीं होतीं
जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा था कि कंप्यूटर से नदियां नहीं सुधर सकतीं। इसके लिए जमीन पर उतरना पड़ता है। नदियों का वास्तविक संरक्षण करना है तो बिना किसी पद की अपेक्षा किए नि:स्वार्थ भाव से काम करना होगा। जिसको पद, पैसे, पावर चाहिए, वो नदियों को जिंदा नहीं कर सकते हैं।