गोविंद सिंह ने कहा कि उन्होंने डेढ़ साल पहले भी विधानसभा में शुक्ला की योग्यता पर सवाल खड़े कर डीजीपी के पद से हटाने की बात कही थी। शुक्ला की नियुक्ति पूरी तरह अनुचित है। उनको ग्वालियर-चंबल का शेर समझा था, लेकिन वे बहुत ही कमजोर निकले। बता दें, इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नए सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति पर आपत्ति को लेकर पीएम को असहमति पत्र भेजा था। इसमें उन्होंने कहा है कि वरिष्ठता, निष्पक्षता और भ्रष्टाचाररोधी मामलों में जावेद अहमद, राजीव राय भटनागर, सुदीप लखटकिया लंबा अनुभव रखते हैं। शुक्ला को भ्रष्टाचाररोधी मामले में कोई अनुभव नहीं।
जानें सीबीआई निदेशक शुक्ला के बारे में…
1983 बैच के आइपीएस अफसर ऋषि कुमार शुक्ला मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रह चुके हैं। वे इंटेलिजेंस में माहिर माने जाते हैं। देश के वरिष्ठतम पुलिस अधिकारियों में इनकी गिनती दूसरे नंबर पर है। उनकी एक ईमानदार अफसर की छवि है और हमेशा विवादों से दूर रहे हैं।
छह दिन पहले सरकार ने डीजीपी पद से हटाया था
छह दिन पहले ही कमलनाथ सरकार ने उन्हें प्रदेश में भाजपा नेताओं की लगातार हत्याओं के बाद डीजीपी पद से हटा दिया था। इससे प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे थे। शुक्ला अगस्त 2020 में रिटायर होने वाले हैं। सीबीआई में उनकी नियुक्ति दो साल के लिए हुई है। फिलहाल एम नागेश्वर राव अंतरिम निदेशक हैं।
काबिलियत और प्रतिबद्धता का प्रमाण
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि मध्यप्रदेश में डीजीपी रहते हुए आइपीएस ऋषि कुमार शुक्ला ने पूरी ईमानदारी और निष्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। उनको सीबीआई चीफ जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी मिलना मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है। देश की सर्वोच्च संस्थाएं रिसर्च एंड एनालिसिस विंग और सीबीआई के प्रमुख पदों पर मध्यप्रदेश कॉडर के अधिकारी कार्यरत हैं। यह मध्यप्रदेश के अधिकारियों की काबिलियत और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।