उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में २७ फरवरी १९९८ में शिक्षकों को १० दिन का अतिरिक्त अवकाश दिए जाने का आदेश भी जारी किया गया था। यह अर्जित अवकाश इसलिए दिया जाता था क्योंकि शिक्षकों को गर्मी की छुट्टी के समय ड्यूटी पर बुलाया जाता था। राज्य सरकार ने इस अवकाश को १६ जून २००८ को बंद कर दिया। आश्चर्य है कि आदेश भूतलक्षी प्रभाव से निरस्त किया गया।
यानी जिस दिनांक से यह लाभ मिलना शुरू हुआ था उसी दिनांक से इसे निरस्त माना जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जो शिक्षक जून २००८ के बाद रिटायर हुए उन्हें इसका लाभ नहीं मिला और जो इसके पहले रिटायर हो चुके हैं, उन्हें इसका लाभ दिया गया। यह शिक्षकों के साथ धोखा है। उन्होंने शिक्षकों के खाते में वर्ष १९९८ से लेकर २०१८ तक का अर्जित अवकाश दोबारा जोडऩे की मांग की। इस २० वर्षों यानी २०० दिन का अवकाश नगदीकरण जुडऩे के कारण वे अवकाश नगदीकरण का लाभ ले सकेंगे।
इधर, मप्र सरकार ने 10 मई 2012 को राजपत्र निकालकर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रप्त सेवारत उच्च श्रेणी शिक्षकों को व्याख्याता के पद पर पदोन्नति देने का आदेश निकाल चुकी है। पहले 2012 से बाद के शिक्षकों को पदोन्नति देने की बात कही जाती रही बाद में इससे पूर्व के शिक्षकों को भी पदोन्नति देने पर सहमति बनी, पर आदेश जारी नहीं हुए हैं।
मांगी थी जानकारी लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 25 अगस्त को जारी एक पत्र में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर राष्ट्रपति व राज्यपाल से पुरस्कार प्राप्त उच्च श्रेणी शिक्षकों की जानकारी मांगी गई थी। 30 अगस्त को एक अन्य पत्र में 2011 से पहले के पांच वर्षों में राष्ट्रपति पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों की गोपनीय चरित्रावली मांग ली गई।
हाइकोर्ट में भी याचिका 2013 में राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले भिंड में पदस्थ बालकृष्ण पचौरी बताते हैं कि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कुछ शिक्षकों ने हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी। 2015 में कोर्ट ने निर्णय दिया कि इन शिक्षकों को पदोन्नति दी जाए। एक माह की जगह तीन साल बीत गए, प्रमोशन नहीं दिया। इसके बाद शिक्षकों ने अवमानना का प्रकरण दर्ज कराया।
उत्तराखंड, हिमाचल में मिली सेवावृद्धि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों के लिए यह सम्मान भले ही मात्र 25 हजार की सम्मान निधि और एक प्रशस्ति-पत्र की औपचारिकता साबित हो रहा हो, लेकिन उत्तराखंड और हिमाचल की राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर दो साल की सेवावृद्धि दी है। इस बारे में बात करने पर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय धीरेन्द्र चतुर्वेदी का कहना है कि इस संबंध में स्थापना शाखा की ओर से कार्रवाई चल रही है, मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है।