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मंत्री नहीं बन सकेंगे लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष, एक साल बाद होंगे चुनाव

locationभोपालPublished: Sep 11, 2019 08:50:54 am

Submitted by:

Ashok gautam

– अध्यक्ष बनने तेंदूपत्ता संग्राहक होना जरूरी
– लघु वनोपज संघ में एक साल बाद होंगे चुनाव

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भोपाल। लघु वनोपज संघ में मंत्री उमंग सिंघार को अध्यक्ष बनाने की कवायत फेल होती नजर आ रही है। क्योंकि अध्यक्ष बनने के लिए तेंदूपत्ता संग्राहक होना जरूरी है। इतना ही नहीं, सदस्य रहने के लिए उन्हें प्रति वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण करना पड़ेगा।

मंत्री अध्यक्ष बनाने के लिए संघ के ऐक्ट में सहकारिता विभाग को संशोधन करना पड़ेगा। संघ में चुनाव कराने के हाल फिलहाल आसार भी कम हैं, क्योंकि वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल डेढ़ साल से भी कम हैं, इसके चलते अब अगले साल ही चुनाव की प्रक्रिया अगले साल शुरू की जाएगी।

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संघ के अधिकारियों ने मंत्री को अध्यक्ष बनाने के लिए सारे नियमों को खंगाल चुके हैं। लघु वनोजप संघ में अध्यक्ष का पद पिछले 8 माह से खाली है। सरकार ने संचालकों की शिकायत के बाद अध्यक्ष महेश कोरी को पद से हटा दिया था। इसके अलावा सहकारिता विभाग ने वरिष्ठ सदस्य महेश गिरी को अयोग्य घोषित कर दिया था, लेकिन संयुक्त पंजीयन के यहां इस मामले में स्टे ले लिया है। वर्तमान में संघ के दस निर्वाचित पदों में से मात्र 5 पद भरे हुए हैं।

संघ ने तीन माह पहले चुनाव का प्रस्ताव सहकारिता विभाग में भेजा था, लेकिन सहकारिता विभाग ने चुनाव कराने से मना कर दिया। सहकारिता विभाग का तर्क है कि सदस्यों का कार्यकाल डेढ़ साल से कम बचा है, इसके चलते यह चुनाव कार्यकाल पूर्ण होने के बाद ही किया जा सकेगा।

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संचालक मंडल के सदस्य भी विवादों में घिरे हैं। जिस वजह से अध्यक्ष का स्थाई प्रभार किसी को नहीं दिया जा सका है। ऐसी स्थिति में विभागीय मंत्री को अध्यक्ष बनाने की तैयारी शुरू हुई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 से पहले विभागीय मंत्री को अध्यक्ष बनाने का प्रावधान था। इसके बाद चुनाव शुरू हो गए और निर्वाचित नेता ही अध्यक्ष बनाने जाने लगे।
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अध्यक्ष नहीं होने से कई प्रस्ताव अंटके

संघ में अध्यक्ष को पूरा वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार होता है। अध्यक्ष नहीं होने से बोर्ड की बैठक में बड़े प्रस्तावों को नहीं रखा जाता है। इससे संघ के कोई नए प्रोजेक्ट पर निर्णय नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा तेंदूपत्ता, लघु वनोजन से जुड़े कई एेसे कार्य हैं, जिन पर संघ फैसला नहीं ले पा रहा है।
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