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लापता हो गई योजनाएं, न अफसरों को ध्यान, न जनता को पता

locationभोपालPublished: Dec 05, 2019 02:19:37 pm

लापता हो गई योजनाएं, न अफसरों को ध्यान, न जनता को पता

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भोपाल/ योजनाएं लापता हो गई। आपको पढकऱ भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन ये सही है। तमाम विभागों में शहर और लोगों का हित ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई गई। इनका तब प्रचार-प्रसार भी कराया, लेकिन कब ये ठंडे बस्ते में जाकर गुमशुदा हो गई और विभाग, अफसरों के साथ लोगों के दिमाग से भी गायब हो गई। पत्रिका ने पड़ताल की और शहर विकास से जुड़ी ऐसी ही लापता योजनाओं की हकीकत सामने लाने की कोशिश की है।

कागजों पर आई योजनाएं जमीन पर उतरने के पहले ही लापता

1. क्या थी योजना- नादरा बस स्टैंड से लेकर भोपाल रेलवे स्टेशन के बीच स्काईवॉक बनाना तय हुआ था।
इससे किसे लाभ मिलता- दावा था कि नादरा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के बीच लोग पैदल ही पांच मिनट में पहुंच जाएंगे। दिक्कत खत्म होगी।
योजना क्यो अटकी- कागजी प्लानिंग से आगे काम नहीं बढ़ाया। फिजिबिलिटी की जांच तक नहीं की गई।
जिम्मेदार- नगर निगम।

2. क्या थी योजना- चौक बाजार हेरिटेज बाजार के तौर पर विकसित करना था। इसके लिए आठ करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया।
इससे क्या लाभ मिलता- चौक बाजाद एक हजार साल पुराने तरीके से विकसित होता। लोगों को किसी ऐतिहासिक क्षेत्र का अनुभव होता। शहर में बाजार के साथ ये पर्यटन का नया स्थान बनता।
योजना क्यों अटकी- भोपाल के ही गोविंदपुरा स्थित कंपनी को ठेका दिया। तत्कालीन निगम के सिविल इंजीनियरों से मिलीभगत कर ठेका लेने वाली कंपनी काम नहीं कर पाई। काम छोड़ दिया और फिर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
जिम्मेदार- नगर निगम।

3. क्या थी योजना- सावरकर सेतु के आसपास जनउपयोग के लिए 6880 वर्गमीटर में सौंदर्यीकरण।
इससे किसे लाभ मिलता- होशंगाबाद रोड से लेकर साकेत नगर, अरेरा कॉलोनी के लोगों को आमाद-प्रमोद का पब्लिक स्पेस।
योजना क्यों अटकी- 4.58 करोड़ रुपए की योजना में कुछ काम हुआ, बाकी राशि नहीं मिलने से अटका।
जिम्मेदार- नगर निगम

4. क्या थी योजना- गणेश मंदिर आरओबी से बोर्ड ऑफिस तक सर्विस रोड। 6.81 करोड़ रुपए का बजट तय था।
इससे किसे लाभ मिलता- अरेरा कॉलोनी, एमपी नगर, होशंगाबाद रोड और यहां रोड से गुजरने वाले रोजाना एक लाख लोगों को लाभ मिलता।
योजना क्यों अटकी- एक तरफ की सर्विस रोड का 70 फीसदी काम हुआ। हबीबगंज रेलवे स्टेशन की और काम शुरू भी नहीं हुआ। ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।

जिम्मेदार- नगर निगम

5. क्या थी योजना- महिलाओं के लिए दस नंबर और पोलीटेक्रिक चौराहा पर शी-लाउंज शुरू करने के बाद काम बंद कर दिया।
इससे क्या लाभ मिलता- आईएसबीटी, एमपी नगर जोन एक व दो, बोर्ड ऑफिस, बिट्टन सब्जी मंडी, शाहपुर तालाब किनारे, कलेक्टर कार्यालय के पास विकसित करना थी। महिलाओं को विशेष जगह मिलती।
योजना क्यों अटकी- महिलाओं द्वारा ही संचालित होने वाले लाउंज में पुरूषों व रसूखदारों का दखल बढ़ा, जिससे योजना फैल हो गई।
जिम्मेदार- नगर निगम

6. क्या थी योजना- माता मंदिर निगम मुख्यालय के पास निगम का बहुमंजिला भवन। 52.57 करोड़ रुपए की योजना। दो फ्लोर पार्किंग, 12 फ्लोर कार्यालय भवन प्रस्तावित था।

इससे क्या लाभ मिलता- नगर निगम के बिखरे हुए कार्यालय एक ही जगह आ जाते, लोगों को भटकना नहीं पड़ता। शहर से जुड़े अन्य विभागों के भी कार्यालय एक ही स्थान पर आते तो लोगों को राहत मिलती।

योजना क्यों अटकी- इसमें पीएचई और निगम के बीच जमीन विवाद हुआ। मामला कोर्ट पहुंचा, जहां से काम रोकना पड़ा।

जिम्मेदार- नगर निगम।

7. क्या थी योजना- भारत माता परिसर निर्माण। इसमें एक हेक्टेयर भूमि पर परिसर का निर्माण प्रस्तावित। 21.33 करोड़ रुपए का बजट तय किया।
इससे क्या लाभ मिलता- देश में ये अपनी तरह का अनोखा प्रकल्प होता। भोपाल में पर्यटन का नया स्थान और देश का गौरव बढ़ाने का प्रतिक।
क्यो अटकी योजना- इसमें दस करोड़ रुपए मप्र शासन को देने हैं, लेकिन यहां से इंकार कर दिया गया। बजट नहीं होने से रूका काम।
जिम्मेदार- नगर निगम।

8. क्या थी योजना- नवबहार सब्जी मंडी की खाली जमीन पर बस स्टैंड का निर्माण। 117 करोड़ रुपए का बजट तय किया।
इससे क्या लाभ मिलता- नादरा बस स्टैंड पर भार कम होता। शहर से दूर अत्याधुनिक बस स्टैंड मिलने से बैरसिया, विदिशा और आगे तक बस संचालन आसान होता।
क्यो अटकी योजना- पीपीपी से इसे विकसित करने का प्रस्ताव था, लेकिन अब तक कोई एजेंसी तय नहीं कर पाए।
जिम्मेदार- नगर निगम

9. क्या थी योजना- आदमपुर छावनी में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट। इसमें 525 करोड़ रुपए के खर्च पर आसपास के छह शहरों का कचरा एकत्रित करके 20 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्लांट लगाना।
इससे क्या लाभ मिलता- कचरे का निष्पादन होता। बिजली का नया स्त्रोत मिलता।
क्यो अटकी योजना- जिस एजेंसी को काम दिया, वह काम ही नहीं करना चाहती थी। ठेका निरस्त किया, फिर कोई सामने नहीं आ रहा।
जिम्मेदार- नगर निगम।

जिम्मेदार का कहना

हम सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए आज भी संकल्पित हैं। निगम प्रशासन लगातार इन योजनाओं को पूरा करने में लगा है और हमने बजट में भी इन्हें रखा है। आज के समय के अनुसार फिजिबिलिटी तय करके काम करेंगे।
– आलोक शर्मा, महापौर

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