लंबे समय से जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से हथियारों की चोरी हो रही थी। लेकिन ताजुब वाली बात थी कि इतने सुरक्षित प्रतिष्ठान से इतने बड़े पैमाने पर AK-47 के पार्ट्स कैसे चोरी हो गई। इसका खुलास अगस्त 2018 में होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप में मच गया। दरअसल, बिहार के मुंगेर जिले स्थित जमालपुर थाना क्षेत्र से तीन AK-47 के साथ एक हथियार तस्कर इमरान को गिरफ्तार किया गया। उससे पूछताछ के बाद अन्य दूसरे तस्करों की गिरफ्तारी हुई।
दरअसल, हथियारों की तस्करी 2012 से ही चल रही थी। यह खुलासा गिरफ्तार तस्कर मोहम्मद इमरान, शमशेर आलम और उसकी बहन रिजवाना बेगम ने किया। ये सभी लोग 2012 से ही AK-47 जैसे खतरनाक हथियारों की तस्करी में जुटे थे। ये सभी लोग बिहार, यूपी और झारखंड के बाहुबली नेताओं, अपराधियों और नक्सलियों के पास हथियार सप्लाई करते थे।
जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से सुरेंद्र ठाकुर AK-47 और उसके पार्ट्स चोरी कर बाहर लाता था। सुरेंद्र हथियारों को पुरुषोतम को देता था। पुरुषोतम फिर उन हथियारों को बिहार के तस्करों तक पहुंचाता था। गिरफ्तार पुरुषोतम ने उस वक्त बताया था कि वह अपनी पत्नी के साथ ट्रेन से हथियार लेकर जमालपुर जाता था। पुरुषोतम भी जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का ही कर्मचारी रहा है। और रिटायरमेंट के बाद वह इस काम में लगा हुआ था।
बिहार पुलिस और एनआईए अभी तक 22 ही AK-47 बरामद कर पाई है। लेकिन चालीस से ज्यादा हथियारों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वो हथियार कहां और किसके पास हैं। तस्करों से जांच एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार उनलोगों ने नक्सलियों को भी हथियारों की सप्लाई की है। ऐसे में नक्सलियों के पास से बरामद हथियार को बरामद करना पुलिस के लिए काफी मुश्किल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस अधिकारी यह दावा कर रहे हैं, मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के घर से मिली AK-47 जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से चोरी की गई है। क्योंकि यहां से गायब सारे हथियार एसेंबल ही थे। विधायक के घर से मिली AK-47 भी एसेंबल ही है। साथ ही उसके कुछ पार्ट्स भी खुले हुए हैं। ऐसे में जांच एजेंसियां उस हथियार की जांच करने में जुटी है। इस मामले में विधायक से पूछताछ भी हो सकती है कि ये हथियार उन्हें कहां से मिला।
वहीं, जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में जिस भी पार्ट्स का निर्माण होता है, उस पर एक नंबर अंकित होता है। विधायक के घर से मिली AK-47 के पार्ट्स पर भी नंबर अंकित हैं। ऐसे में हथियारों के नंबर मिलान के बाद यह पता चला जाएगा कि इसका निर्माण कब हुआ। उसके बाद जांच आगे बढ़ेगी। आर्मी के अफसर भी विधायक के घर जांच के लिए पहुंचे हैं। क्योंकि जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में आर्मी के लिए ही हथियार बनती है।