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CAA पर ‘नारायण’ नहीं रहे बीजेपी के साथ, कांग्रेस की बांछें खिलीं , कहा- उनके DNA में है CONGRESS

locationभोपालPublished: Jan 28, 2020 06:50:08 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

नारायण के तेवर से बीजेपी की बोलती हुई बंद!

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भोपाल/ बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी की महिमा मध्यप्रदेश की राजनीति में अपरंपार है। नारायण कब पार्टी से नाराज हो जाते हैं और कब मेहरबान यह सबके लिए हमेशा अबूझ पहेली ही होती है। नारायण की कृपा अपनी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस पर बरसती है। हाल ही मान मनौव्वल के बाद घर आए नारायण फिर से खफा हो गए हैं और सीएए का विरोध कर पार्टी को बड़ा झटका दिया है।
दल बदलने में रिकॉर्ड बना चुके नारायण त्रिपाठी का मन कब बदल जाए ये कोई नहीं कह सकता। पिछले साल मानसून सत्र के आखिरी दिन अचानक से कांग्रेस नेताओं के साथ जाकर बीजेपी को सरप्राइज देने वाले नारायण शीतकालीन सत्र के पहले वापस पार्टी में तो आ गए लेकिन अब बजट सत्र से पहले वो फिर खुलकर पार्टी लाइन से बाहर चले गए। बिन बादल बरसात की तरह नारायण त्रिपाठी अचानक से सीएए के विरोध में खड़े हो गए जो बीजेपी सीएए के कानून से एक इंच पीछे हटने को तैयार नहीं उसी पार्टी के विधायक ने खुलकर खिलाफत शुरू कर दी। सीएए के विरोध में नारायण ने तर्क दिया कि इससे देश में गृहयुद्ध जैसे हालात बन रहे हैं और देश का धर्म के आधार पर बंटवारा किया जा रहा है।
इतना सुनते ही जहां बीजेपी खेमे में चुप्पी छा गई वहीं कांग्रेस की बांछें खिल गई। फौरन पचौरी खेमे के विधायक आरिफ मसूद मीडिया के सामने आए और कहा कि नारायण के डीएनए में ही कांग्रेस है। मसूद ने बाकी बीजेपी नेताओं को त्रिपाठी से नसीहत लेने की सलाह भी दे डाली।
इस पूरे घटनाक्रम से फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। मसूद ने संकेत भी दे दिये हैं कि सदन में नारायण हमारे साथ ही होंगे। अब सवाल कई हैं।

नारायण से सवाल…
नारायण त्रिपाठी ने अचानक सीएए का विरोध क्यों किया
क्या फिर कांग्रेस से बढ़ गई है नजदीकी
आखिर बार-बार क्यों मन बदले रहे हैं त्रिपाठी
त्रिपाठी के बदले तेवर किस तरफ कर रहे ईशारा
क्या बीजेपी को फिर झटका लगने वाला है ?
क्या कांग्रेस से त्रिपाठी की कोई डील हुई है ?
क्या बीजेपी अब नारायण त्रिपाठी पर कार्रवाई करेगी ?
या अब भी चुपचाप मजबूर होकर बगावत सहती रहेगी ?
तो एक तरफ सीएए पर बीजेपी के नेता आपस में उलझ रहे हैं। वहीं छिंदवाड़ा में एक बार फिर अफसरों ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा, अधिकार और दायित्वों पर प्रश्नचिन्ह लगवा लिया। 26 जनवरी को एक समारोह के दौरान जब बीजेपी के पूर्व विधायक रमेश दुबे सीएए पर अपनी बात रख रहे थे तो उन्हें रोका गया यहां तक कि एसडीएम मेघा शर्मा ने खुलकर कहा कि ये विवादित विषय है और इस पर आप बात नहीं रख सकते। रमेश दुबे ने भी मंच से अधिकारी की तानाशाही का सबूत दिया और पूछा कि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से बना कानून विवादित कैसे हो सकता है। जिस पर अफसर तिलमिला कर रह गईं। खैर रमेश दुबे तो उसके बाद चुप हो गए। लेकिन कई सवाल गूंजने लगे कि क्या इस प्रदेश में सीएए का समर्थन करना गुनाह हो गया है।
एक तरफ सियासी लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मौका देखकर पाला बदल लेते हैं तो दूसरी तरफ अफसर एक कानून की बात करने को गुनाह बताने पर तुल गए हैं। खैर देखना है कि नारायण के बगावती तेवर कब तक बने रहते हैं और पूर्व विधायक को चुप कराने वाली एसडीएम को सरकार से शाबासी मिलती है या नहीं।

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