गोपाल भार्गव ने अपना बयान बदल दिया है। उन्होंने खुद ही अपने बयान का खंडन कर दिया। उन्होंने खुद ही मना कर दिया है कि एेसा बोला है, इसलिए अब उस पर कुछ भी टिप्पणी करना उचित नहीं।
– लाल सिंह आर्य सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री,मप्र
देश तो संविधान के हिसाब से ही चलेगा। देश में वही होगा जो लिखा है। आरक्षण को लेकर देश में माहौल खराब हो रहा है। जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को संयम बरतना चाहिए।
– विष्णु खत्री, विधायक,भाजपा
भाजपा आरक्षण की कट्टर समर्थक है। सभी जातियों में अच्छे लोग हैं। पढऩे-लिखने वाले प्रतिभावान लोग हैं। गोपाल भार्गव ने किस परिप्रेक्ष्य में कहा है, ये मैं नहीं जानता। देश तो संविधान से ही चलेगा।
– प्रदीप लारिया, विधायक, भाजपा
मैं इस बारे में कुछ भी नहीं बोलूंगा। बहुत गंभीर और नाजुक मामला है। इस बारे में कुछ भी मत पूछिए।
– ज्ञान सिंह, सांसद, भाजपा
भाजपा और आरएसएस का एजेंडा दलित विरोधी रहा है। भाजपा ने चुनावों को देखते हुए अपने नेताओं को भी दो वर्गों में बांट दिया है। दलित वर्ग के नेता जब इस वर्ग में जाते हैं तो आरक्षण की पैरवी करते हैं, सवर्ण वर्ग के नेता आरक्षण का खुला विरोध। मंत्री गोपाल भार्गव का बयान भी भाजपा की उसी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने सोच समझकर बयान दिया है। अब शिवराज को अपना वादा कि कोई माई का लाल आरक्षण को चुनौती नहीं दे सकता है, याद कर मंत्री पर कार्रवाई करना चाहिए।
– कमलनाथ, सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री
मेरा शुरू से यह मानना है कि भाजपा विविध संस्कृतियों, धर्मों और जातियों के समरसता और सहयोग के वातावरण को दूषित करना चाहती है। देश और समाज को तोडऩे के लिए सुनियोजित कोशिश चल रही है। भार्गव को अगर सामान्य जातियों की इतनी ही चिंता है तो उन्हें स्मरण होगा कि सामान्य निर्धन वर्ग आयोग का गठन उनके विभाग के अंतर्गत 2008 में किया गया था। नौ वर्ष बाद भी आयोग का आज तक न तो कोई प्रतिवेदन आया और न ही इन वर्गों के लिए चिंता की है। अच्छा होता भार्गव भाषणों में वीर रस दिखाने के बजाय इस आयोग को ही सशक्त एवं सक्षम बना दे तो शायद वे इन वर्गों का भला कर पाएंगे, जिसकी वह वकालत कर रहे हैं।
– अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष
आरएसएस व भाजपा नेताओं का शुरू से एजेंडा दलित विरोधी रहा है। पर्दे के पीछे से ये लोग एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के समर्थन में व आरक्षण के विरोध में मुहिम चला रहे हैं। इनके कुछ नेता दिखावे के लिए आरक्षण का समर्थन करते हैं। कुछ नेता खुला विरोध करते हैं। इसका ताजा उदाहरण मंत्री गोपाल भार्गव का वायरल वीडियो है। भाजपा देश को जाति व धर्म के आधार पर बांटने में लगी हुई है। आज भी कई इलाकों में मंदिर में दर्शन से लेकर पानी भरने तक इन वर्गों के लोगों को रोका जाता है। भाजपा को दोहरी नीति खत्म कर यह स्पष्ट करना चाहिए कि वो आखिर किसके साथ है और क्या चाहती है?
– सज्जन सिंह वर्मा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद