मौजूदा 15वीं विधानसभा में 8 दिसम्बर 2019 को संकल्प पारित किया गया था कि सभी विधायक अपनी प्रोपर्टी का ब्यौरा विधानसभा में पेश करेंगे। इस संकल्प पर पूरे सदन की सहमति रही। संकल्प पारित होने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि इसका सभी पालन भी करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चूंकि सदन का संकल्प था इसलिए विधानसभा की जिम्मेदारी थी कि इसका पालन हो, इसलिए विधायकों को इसके लिए लगातार याद दिलाया जाता रहा। वर्ष 2021 में विधानसभा सचिवालय ने फिर सभी विधायकों को सूचना दी कि वे प्रोपर्टी की जानकारी उपलब्ध करा दें, इसके लिए 30 जून अंतिम तिथि भी निर्धारित की गई। लेकिन ज्यादातर विधायकों ने इसे अनसुना और अनदेखा कर दिया। अभी तक कुल 15 विधायकों ने ही प्रोपर्टी की जानकारी दी।
इन्होंने बताई अपनी प्रोपर्टी –
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, विधायक डॉ. गोविंद सिंह, शैलेन्द्र जैन, प्रद्युम्न सिंह लोधी, अजय टंडन, नागेन्द्र सिंह गुढ़, संजय यादव, टामलाल रघुजी सहारे, रामपाल सिंह, लीना संजय जैन, आरिफ मसूद, ग्यारसी लाल रावत, चेतन्य कुमार कश्यप।
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, विधायक डॉ. गोविंद सिंह, शैलेन्द्र जैन, प्रद्युम्न सिंह लोधी, अजय टंडन, नागेन्द्र सिंह गुढ़, संजय यादव, टामलाल रघुजी सहारे, रामपाल सिंह, लीना संजय जैन, आरिफ मसूद, ग्यारसी लाल रावत, चेतन्य कुमार कश्यप।
अब मंत्री नहीं बताते आय –
13वीं विधानसभा के दौरान वर्ष 2011 में तय किया गया था कि राज्य सरकार के सभी मंत्री प्रतिवर्ष अपनी और अपने पर आश्रितों की प्रोपर्टी का ब्यौरा हर साल सदन के पटल पर रखेंगे। वर्ष 2012 में भी इतने ही सदस्यों ने ब्यौरा दिया। जबकि इसके अगले साल यानी 2013 में 17 लोगों ने अपनी सम्पत्ति की जानकारी सदन को दी। लेकिन 14वीं विधानसभा में मंत्रियों ने चुप्पी साध ली। मात्र दो मंत्रियों ने ही प्रोपर्टी का ब्यौरा दिया। 15वीं विधानसभा में मंत्रियों ने प्रोपर्टी का ब्यौरा ही देना बंद कर दिया।
13वीं विधानसभा के दौरान वर्ष 2011 में तय किया गया था कि राज्य सरकार के सभी मंत्री प्रतिवर्ष अपनी और अपने पर आश्रितों की प्रोपर्टी का ब्यौरा हर साल सदन के पटल पर रखेंगे। वर्ष 2012 में भी इतने ही सदस्यों ने ब्यौरा दिया। जबकि इसके अगले साल यानी 2013 में 17 लोगों ने अपनी सम्पत्ति की जानकारी सदन को दी। लेकिन 14वीं विधानसभा में मंत्रियों ने चुप्पी साध ली। मात्र दो मंत्रियों ने ही प्रोपर्टी का ब्यौरा दिया। 15वीं विधानसभा में मंत्रियों ने प्रोपर्टी का ब्यौरा ही देना बंद कर दिया।
इसलिए देना था सम्पत्ति का ब्यौरा –
चुने हुए जनप्रतिनिधियों के मामले में यह आरोप लगते रहते हैं कि उनकी कमाई बढ़ी है। जनप्रतिनिधि के बाद आय के स्त्रोत भी बढ़ जाते हैं। काली कमाई के आरोप भी लगने लगते हैं। इसलिए विधानसभा में यह किया गया था कि विधायक प्रतिवर्ष हर साल अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा देंगे, जिससे आमजन को पता चल सके कि विधायकों की वास्तव में आय क्या है। इससे पारदर्शिता रहेगी और सवाल भी नहीं उठेंगे।
चुने हुए जनप्रतिनिधियों के मामले में यह आरोप लगते रहते हैं कि उनकी कमाई बढ़ी है। जनप्रतिनिधि के बाद आय के स्त्रोत भी बढ़ जाते हैं। काली कमाई के आरोप भी लगने लगते हैं। इसलिए विधानसभा में यह किया गया था कि विधायक प्रतिवर्ष हर साल अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा देंगे, जिससे आमजन को पता चल सके कि विधायकों की वास्तव में आय क्या है। इससे पारदर्शिता रहेगी और सवाल भी नहीं उठेंगे।
अधिकारी बोले,
यह सही है कि अभी बहुत ही कम विधायकों ने अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा दिया है। विधानसभा सचिवालय द्वारा विधायकों से फिर से आग्रह किया गया है कि वे अपनी प्रोपर्टी का ब्यौरा दें।
– एपी सिंह, प्रमुख सचिव मप्र विधानसभा
यह सही है कि अभी बहुत ही कम विधायकों ने अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा दिया है। विधानसभा सचिवालय द्वारा विधायकों से फिर से आग्रह किया गया है कि वे अपनी प्रोपर्टी का ब्यौरा दें।
– एपी सिंह, प्रमुख सचिव मप्र विधानसभा