मसौदा शहरी मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। एक अगस्त तक राय देनी है। 25 फीसदी मकान मालिक पुलिस को दे रहे सूचना: भोपाल शहर में पुलिस के पास केवल 25 फीसदी किराएदारों का रेकॉर्ड है। अधिकतर मकान मालिक ना तो किराएदारों से एग्रीमेंट करते हैं और न ही पुलिस वेरीफिकेशन। आयकर और पुलिस के कथित दुव्र्यवहार से भी कई मकान मालिक डरते हैं।
भोपाल के राजस्व न्यायालयों में चल रहे सौ से अधिक प्रकरण: भोपाल जिले के सात राजस्व वृत्तों के एसडीएम कोर्ट में किराएदार और मकान मालिक के प्रकरण चल रहे हैं। हर कोर्ट में 12 से 15 मामले हैं। सबसे ज्यादा विवाद पुराने शहर में हैं। इस क्षेत्र में 12 से अधिक मकान मालिकों ने किराएदारों से परेशान होकर अपने मकानों को जर्जर घोषित कर गिराने के लिए नगर निगम में आवेदन लगा रखे हैं।
राजधानी में चल रहे कई विवाद
केस-01
पद्मनाभ नगर स्थित मृदुला जैन के मकान में वर्ष 2010 से नितिन रायचंदानी का कार्यालय संचालित हो रहा था। पिछले महीने नितिन ने मकान खाली कर दिया, लेकिन कुछ सामान दफ्तर में रह गया। मृदुला जैन ने दफ्तर वाले उक्त कमरों पर ताला जड़ दिया। बुधवार को नितिन सामान लेने पहुंचे, तो मृदुला ने दफ्तर में घुसने नहीं दिया और बिना सामान लिए भगा दिया। नितिन की शिकायत पर पुलिस ने मृदुला जैन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
केस-02
माता मंदिर निवासी महेंद्र मनवानी की ई-3 स्थित बिल्डिंग में बागमुगालिया निवासी रितु श्रीवास्तव ने मार्च 2017 में होटल खोला । उन्होंने 84 लाख एडवांस दिए। तीन महीने तक किराया नहीं देने पर भवन खाली करवाने का करार था। एक महीने का किराया 14 लाख था। महेंद्र ने भवन पर ढाई करोड़ लोन लिया था। रितु ने उन्हें बैंक लोन चुकाने तक तीन महीने का किराया नहीं दिया। विवाद कोर्ट गया तो वहां से यथास्थिति रखने को कहा है।
फैक्ट फाइल
05 लाख
भोपाल में हैं हाउसहोल्ड
02 लाख से अधिक किराएदार
05 हजार (केवल) रजिस्टर्ड एग्रीमेंट वाले किराएदार
25त्न किराएदारों की पुलिस को दी जाती है जानकारी
किराएदार के अधिकार
घर के मुआयने या किसी
काम से आने के लिए पहले ही नोटिस देना होगा
रेंट एग्रीमेंट की सीमा
से पहले किराएदार को
निकाल नहीं सकेंगे
दो महीने से ज्यादा नहीं
होगी सिक्योरिटी की रकम
मकान मालिक के अधिकार
रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद मकान न खाली करने पर चार गुना किराया ले सकते हैं
बिल्डिंग की देखभाल के लिए किराएदार-मकान मालिक दोनों जिम्मेदार
किराएदार अपनी प्रॉपर्टी को दूसरे को नहीं सौंप सकता
बिजली-पानी बंद नहीं कर सकते
मसौदे में किराएदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए कहा गया है कि मकान मालिक एग्रीमेंट की अवधि के मध्य मर्जी से किराए में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे। वह किराया बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें तीन महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी। मकान मालिक को लेनदारी काटने के बाद रेंट एग्रीमेंट की अवधि समाप्त होने के समय सिक्योरिटी मनी लौटानी होगी। अगर किराएदार-मकान मालिक के बीच कोई विवाद होता है तो मकान मालिक किराएदार की बिजली और पानी आपूर्ति बंद नहीं कर सकता है। हर राज्य में स्थानीय भाषा में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किरायानामा और अन्य दस्तावेज अपलोड किए जाएंगे।
मॉडल एक्ट की जरूरत इसलिए पड़ी
केंद्र के सर्वे के अनुसार शहरों में 1.1 करोड़ संपत्तियां इसलिए खाली हैं कि मकान मालिकों को किराएदारों से विवाद का डर सताता है। इस डर को खत्म करने और उन्हें संपत्ति को किराए पर देने के लिए प्रोत्साहित करने एक्ट तैयार किया है। इसमें रेंट अथॉरिटी की बात कही गई है। एग्रीमेंट के बाद दोनों पक्षों को सात दिन में अथॉरिटी को जानकारी देनी होगी, ताकि आइडी नंबर दिया जा सके। राज्यों को विवादों के निपटारे के लिए स्पेशल रेंट कोर्ट (किराया अदालत) और रेंट ट्रिब्यूनल (किराया प्राधिकरण) स्थापित करने का अधिकार दिया है।