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चुनाव में शक्कर और दाल से गरीबों में अपनी जगह बनाएगी मोदी सरकार

locationभोपालPublished: Feb 05, 2019 09:40:18 am

Submitted by:

Ashok gautam

एक करोड़ 17 लाख से अधिक परिवारों को 15-19 रुपए कम कीमत पर दाल और शक्कर बाटेगी सरकार

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भोपाल। मोदी सरकार लोकसभा चुनाव में शक्कर और दाल से गरीबों के बीच में अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रही है। प्रदेश में सवा करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को इसी माह से १५ रुपए से कम कीमत पर दाल और १९ रुपए कम कीमत पर शक्कर बाटी जाएगी।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम ने शक्कर खरीदी के लिए टेंडर जारी किया है। जबकि दाल देने का काम नेफेड द्वारा किया जाएगा।

प्रदेश में गरीबों को इसी माह से दाल आवंटित की जाएगी। सरकार प्रति परिवार अधिकतम चार किलो और प्रति व्यक्ति एक किलो मूंग, उड़द, चना और मसूर की खड़ी दाल देगी। एक किलो दाल की कीमत 27 रुपए रखी गई है।
गरीब परिवारों को दाल शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से दी जाएगी। पीडीएस में बांटने के लिए 40 हजार टन दल की जरूरत राज्य सरकार को पड़ेगी। सरकार ने नेफेड को विभिन्न जिलों के गोदामों में 40 हजार टन दाल छोड़ कर ही उसकी बिक्री और उठाव के लिए कहा है।
जिससे कि एक साल तक गरीब और अति गरीब परिवारों को दाल बांटने का स्टाक गोदामों में बना रहे। गौरतलब है कि आदिवासी जिलों में पहले से सरकार एक किलो तुअर की दाल गरीब परिवारों को सब्सिडी दर पर बांट रही हैं।
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जनवरी से बांटनी थी दाल
केन्द्र सरकार ने अशोक नगर और गुना जिले के गोदामों से पूरे प्रदेश में गरीबों को दाल बांटने के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम कहा था। पूरे प्रदेश में दाल जनवरी से बाटी जानी थी।
चूंकि दो जिलों से पूरे प्रदेश में दाल परिवहन पर बहुत ज्यादा खर्च आ रहा था, इसके चलते इस प्रस्ताव का रोक दिया गया। अब केन्द्र ने नेफेड को निर्देश दिए हैं कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम को सभी जिलों से दाल का आवंटन जारी किया जाए।
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क्या आएगी दिक्कतें
दर असल नेफेड बाजार दर पर दाल खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम को उपलब्ध कराएगी। बाजार में चना, मसूर, मंूग और उड़द की कीतम अलग-अलग है। बाजर में इसकी कीमत बढ़ती है तो बढ़ी हुई राशि उपभोक्ताओं से वसूली जाएगी और अगर कम होती है तो उसे कम कीमत पर उपभोक्ताओं को दी जाएगी।
इसमें विभाग के अधिकारी इस बात से डर रहे हैं कि अगर कम कीमत वाली दाल खत्म हो गई तो बढ़ी हुई कीमत की दाल उपभोक्ता लेने में उपभोक्ता ना नुकूर कर सकते हैं। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को इस गणित को समझाना दुकान संचालकों थोड़ा मुश्किल भी होगा।
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बाजार में नही बिक रही है चने की दाल
नेफेड को चने का मूल्य बाजार में नहीं मिल रहा है। एक साल में नेफेड ने मात्र एक लाख टन चना ही बेंच पाया है, वह भी समर्थन मूल्य से दो से लेकर चार सौ रुपए कम कीमत पर बेंचा है।
नेफेड के स्टाक में अभी भी 15 लाख टन चना और 1 लाख 70 हजार टन मसूर नहीं बिक पाया है। बताया जा रहा है कि किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार पिछले कई सालों से समर्थन मूल्य पर चना, मसूर, उड़द-मूंग खरीद रही है।
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