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राजधानी की सड़कों पर हजारों मॉडिफाइड वाहन

locationभोपालPublished: Apr 16, 2018 02:36:12 pm

– मॉडिफाइड वाहनों से आपराधिक वारदातों की प्रबल आशंका – पूर्व में शहर में पकड़ी गईं मॉडिफाइड बाइक, पुराने शहर में अधिक

आगरा ताज कार रैली

आगरा ताज कार रैली

भोपाल. वाहन मॉडीफाई करने वाले वाहन मालिक और मॉडिफिकेशन करने वाले दोनों को भारी जुर्माना व सजा का प्रावधान होने के बावजूद राजधानी की सड़कों पर इस तरह के वाहन फर्राटा भर रहे हैं। इन वाहनों से अपराध किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पूर्व में कोलार थाने के प्रभारी निरीक्षक गौरव सिंह बुंदेला ने चेकिंग के दौरान दोपहर में ललिता नगर मार्केट इलाके से एक युवक को मॉडिफाइड बाइक के साथ पकड़ा था।

उस समय कोलार क्षेत्र में चोरियों का ग्राफ बढ़ रहा था। पुलिस पूछताछ में गाड़ी के साथ पकड़ा गया मुस्लिम युवक कोलार इलाके में घूमने का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया था और न ही उसके पास वाहन के कागजात थे। उसने बताया था कि यह बाइक उसके भाई ने एक परिचित से खरीदी थी, लेकिन उसका पता ठिकाना भी नहीं दे सका था। बताया गया कि यह बाइक अभी तक कोलार थाने में पड़ी है। पुलिस को प्रबल संदेह है कि इस तरह की बाइक वारदात करने में दुरुपयोग की जाती हैं। शहर में इस तरह के वाहन हर क्षेत्र में दिखाई देने लगे, जबकि अधिकांश वाहन पुराने भोपाल में दिखाए देते हैं।

पुलिस सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में बुलेट, यमाहा, करिज्मा आदि वाहनों में मॉडिफिकेशन करके अलग दिखने वाले वाहन बनाने के धंधे ने जोर पकड़ा। पुराने शहर में तमाम कारीगर इस तरह के कारनामे करते हैं। पूरे प्रदेश में प्रतिवर्ष पांच हजार से अधिक गाडिय़ां मॉडिफाई की जाती हैं। भोपाल, ग्वालियर, इंदौर व जबलपुर चार महानगरों में ही प्रतिवर्ष तीन हजार गाडिय़ां मॉडिफाई की जा रही हैं। राजधानी में कुछ मैकेनिक तो केवल गाडिय़ों को मॉडिफाई करने का ही काम करते हैं और सालभर में करीब ७००-८०० सौ गाडिय़ां मॉडिफाई कर देते हैं। इस तरह की गाडिय़ां से अपराध किए जाने आशंका से पुलिस इनकार नहीं कर रही है।
जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) के नए नियम के तहत कंपनी द्वारा एप्रूव डिजायन में यदि वाहन मालिक छेड़छाड़ करता है तो पकड़े जाने पर उसे पांच लाख रुपए तक जुर्माना राशि चुकानी होगी। यह रकम न चुकाने पर तीन साल तक कैद भी हो सकती है। रोड सेफ्टी एंड ट्रांसपोर्ट बिल २०१५ में इस तरह के प्रावधान किए गए हैं। भारत सरकार की अधिकृत एजेंसी एआरएआई के नए नियम के तहत कंपनी द्वारा तैयार किए गए मॉडल में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ अपराध की श्रेणी में आएगा। यही नहीं, चार पहिया या दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी भी एआरएआई से एप्रूवल सर्टिफिकेट प्राप्त किए बिना अपने नए वाहन सड़क पर नहीं उतार सकतीं। यदि कंपनी भी ऐसा करती है तो उसे जुर्माना भुगतना पड़ेगा या तीन साल की कैद होगी।
वाहन लेने ही नहीं आते
पुलिस की मानें तो मॉडिफाइड वाहनों पर कार्रवाई में बहुत समय लगता है और नतीजा सामने नहीं आ पाता। इस तरह का वाहन पकडऩे पर उससे कागज मांगे जाते हैं तो अकसर वाहन स्वामी यह कहकर जाता है कि कागज घर पर हैं, लेने जा रहा है और वापस नहीं आता। इससे पुलिस की कवायद मेहनत बेकार हो जाती है और वाहन थाने पर पड़ा सड़ता रहता है।
वर्जन
हमारी प्राथमिकता ट्रैफिक का सुगम संचालन और दुर्घटनाएं रोकना है। यह मुश्किल काम है, लेकिन ऐसे वाहनों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
– महेन्द्र जैन, एएसपी-ट्रैफिक
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