वहीं नेशनल पार्कों और सेंचुरी में सुरक्षा कर रहे अधिकारियों का कंट्रोल कमांड उनके संचालकों के पास रहेगा। जीपीएस की चिप वाहनों के इंजन में लगाई जाएगी, जिससे वाहन चालक उसे न तो निकाल कर दूसरे वाहनों में लगा सकें और न ही वे इसे नष्ट कर सकें।
वन विभाग पेड़ों की अवैध कटाई, उत्खनन और अवैध परिवहन पर पूरी तरह से रोक लगाने की रणनीति तैयार कर रहा है।
वन विभाग पेड़ों की अवैध कटाई, उत्खनन और अवैध परिवहन पर पूरी तरह से रोक लगाने की रणनीति तैयार कर रहा है।
इसके लिए वह आठ सौ से अधिक बड़े वाहनों और दो हजार से अधिक दो पहिया वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा रहा है। जीपीएस चिप खरीदीने के लिए निविदा जारी की जाएगी, जो कंपनी वन विभाग को सस्ते दरों पर लंबे समय तक सेवाएं देगी उसे उससे चिप खरीदी जाएगी।
वाहनों के इंजन में एक डिब्बा लगाया जाएगा, जहां चिप फिट की जाएगी। चिप लगाने के बाद इस डिब्बे को पूरी तरह से सील कर दिया जाएगा। इस सील को डीएफओ और सीसीएफ के सामने तभी खोला जाएगा, जब उसमें किसी तरह की खराबी आएगी। जिससे वन में गश्त करने वाले अधिकारी चिप को निकाल कर मोटर साइकिल अथवा अन्य वाहनों में फिट न कर सकें।
चिप में किसी तरह से छेड़छाड़ करने पर वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जीएपीएस से मुख्यालय के अधिकारियों को यह पता चल जाएगा कि कौन सा अधिकारी वर्तमान में कहां है और वह जंगल में गश्त करने कब गया था।
प्रदेश में 63 डिवीजन, 16 सर्किल, 11 नेशनल पार्क और 14 सेंचुरी हैं। इनमें डीएफओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर, नाकेदार और वन रक्षकों के अलावा टास्क फोर्स, स्ट्राइक फोर्स भी समय-समय पर गश्ती करते हैं।