ओबीसी पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई, सरकार से और तथ्य तलब, आज-कल में आएगा फैसला
भोपालPublished: May 17, 2022 09:02:13 pm
——————- पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट का आकलन करने के बाद फैसला सुनाएगा, कल या परसों तक आ हो सकता है फैसला, सरकार ने चार सप्ताह की मांगी है चुनाव के लिए मोहलत———————
भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार की मोडिफिकेशन पीटिशन के तहत मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीमकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीमकोर्ट मामले में मध्यप्रदेश सरकार से कुछ तथ्य तलब किए हैं। अब इस मामले में बुधवार को सुबह 10 बजे और गुरुवार को दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी। इन दोनों दिनों में ही अब सुप्रीमकोर्ट ओबीसी आरक्षण पर फैसला सुनाएगा। सरकार ने चुनाव के लिए 4 सप्ताह की मोहलत भी मांगी है।
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गौरतबल है कि सुप्रीमकोर्ट ने मध्यप्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के स्थानीय चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। इसके तहत प्रदेश में चुनाव की तैयारी हो गई है, लेकिन इस बीच मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर मोडिफिकेशन पीटिशन दायर की है। इस पर मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई की गई। अभी मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की पेश की गई ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट की स्टडी कर रहा है। इसके विभिन्न तथ्यों को देखा जाएगा। सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से वार्डवार ओबीसी वोटर संबंधित तथ्यों को मांगा है।
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मोडिफिकेशन पीटिशन में ये तथ्य : चुनाव कराने भी मांगी मोहलत…
सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की एक और रिपोर्ट सुप्रीमकोर्ट में पेश करके पूर्व निर्णय में मोडिफिकेशन मांगा है। यह रिपोर्ट स्थानीय निकायवार आरक्षण प्रतिशत के संबंध में है। इसमें अपील की है कि इसके आधार पर ओबीसी आरक्षण अधिसूचित करने की अनुमति दें। इसके लिए 4 सप्ताह का समय मांगा गया है। साथ ही कहा गया कि समानतापूर्वक इतना समय एससी-एसटी आरक्षण के लिए भी लगेगा। ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना की मंजूरी देने वाले आदेश से किसी पार्टी को पूर्वाग्रह नहीं होगा। इसके आधार पर मोहलत मांगी गई है। साथ ही सरकार ने 2022 में किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति मांगी है।
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सरकार देगी और तथ्य-
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ और जानकारी मांगी हैं, जिसे जल्द उपलब्ध करा दिया जाएगा। सरकार 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराना चाहती है। इस कारण कोर्ट में सारे तथ्य रखे गए हैं। मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की जो रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है, उसमें 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण की मांग की गई है।
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इधर, चुनाव की पूरी तैयारी-
सुप्रीम कोर्ट ने दस मई को राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए हैं। आयोग अपने स्तर पर तैयारी कर चुका है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग से उन निकायों की जानकारी मांगी गई है, जहां कार्यकाल पूरा हो चुका है और चुनाव कराए जाने हैं। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से नए परिसीमन के आधार पर आरक्षण करने के लिए कहा गया है।
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जनगणना 2011 है आधार-
सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए ओबीसी आबादी के जनगणना 2011 के तथ्य पेश किए हैं। कोर्ट में विभिन्न पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने तर्क रखे। मूल याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से कहा गया कि यदि आयोग और राज्य सरकार ड्यूटी सही ढंग से नहीं कर पाती। तो उसका खामियाजा किसी वर्ग को क्यों उठाना पड़े। गलती करने वाले को दंडित करना चाहिए।
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