आमतौर पर गुम इंसान एवं घर छोड़कर जाने के दर्ज होने वाले प्रकरण में व्यक्ति के बरामद होने के बाद पुलिस प्रकरण को बंद कर देती है। ज्यादातर मामलों में घर छोड़कर जाने वाले पीडि़तों ने घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और अन्य कारण पूछताछ में दर्ज कराए हैं। पुलिस अब इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आखिर क्या वजह है कि लड़कियां लड़कों के मुकाबले घर छोड़कर जाने का कदम ज्यादा उठाती हैं।
सामुदायिक पुलिसिंग के तहत भोपाल पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पहली बार स्टूडेंट इंटर्नशिप कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इसके लिए शहर के 15 प्रमुख शिक्षण संस्थानों के साथ पुलिस कमिश्नर कार्यालय ने यह कार्यक्रम बनाया है। शिक्षण संस्थानों के चयनित विद्यार्थियों द्वारा पीडि़त युवतियों से मिलकर मामले में चर्चा कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
पुलिस महिला एवं बाल अधिकार सेल के माध्यम से रिपोर्ट की समीक्षा होगी एवं काउंसलिंग के बाद इसके रोकथाम के लिए रूपरेखा बनेगी। भोपाल के सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों के 1600 विद्यार्थियों ने अभी तक पुलिस विभाग के साथ स्टूडेंट इंटर्नशिप कार्यक्रम में शामिल होने में अपनी रुचि जाहिर की है।
कमिश्नर कार्यालय में आयोजित बैठक में सभी शिक्षण संस्थानों के प्रमुख एवं संबंधित विद्यार्थियों से अधिकारियों ने मामले में चर्चा भी कर ली है। अपराधों में पीडि़त लोगों की सुरक्षा, साइबर अपराध में पीडि़त की सहायता करना, साइबर वॉलिटयर तैयार करने जैसे विषयों पर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। महिला अपराध एवं बालक बालिकाओं की सुरक्षा एवं ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे मुद्दे भी इंटर्नशिप कार्यक्रम में शामिल किए गए हैं। भोपाल पुलिस कमिश्नर, मकरंद देउस्कर ने कहा कि स्टूडेंट इंटर्नशिप कार्यक्रम के माध्यम से युवतियों के घर छोड़कर जाने की वजह एवं अन्य आपराधिक मामलों की रोकथाम एवं पीडि़त की काउंसिङ्क्षलग जैसे मुद्दों पर जानकारियां प्राप्त की जाएंगी।