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प्रदेश में प्रति वर्ष दर्ज होते हैं 600 से अधिक illegal hunting के प्रकरण

locationभोपालPublished: May 14, 2022 10:32:45 pm

Submitted by:

Ashok gautam

– अवैध शिकार के ढाई हजार मामले चल रहे हैं कोर्ट में
– गुना घटना से पहले देवास में वन आरक्षक मदन वर्मा को शिकारियों ने गोलीमारकर हत्या कर दी थी

Kota' Big Issue : कोटड़ी तालाब को मरने से बचा लो सरकार, अतिक्रमण से घोटा जा रहा गला

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भोपाल। प्रदेश में प्रति वर्ष 600 से अधिक अवैध शिकार के प्रकरण दर्ज किए जाते हैं। इसमें से करीब अस्सी फीसदी शिकारियों को पकड़ा लिया जाता है, जिन्हें कोर्ट में पेशकर जेल भेज दिया जाता है। वर्तमान में वन्य जीवों और प्राणियों के अवैध शिकार को लेकर विशेष न्यायालय, जिला न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में करीब ढाई हजार मामले चल रहे हैं। गुना घटना से पहले देवास में वन आरक्षक मदन वर्मा को शिकारियों ने गोलीमारकर हत्या कर दी थी। इस मामले का वीडियो भी वायरल हुआ था। इसके पहले ग्वालियर के घाटी गांव में forest guard टीपू सिंह राणा की शिकारियों ने हत्या कर दी थी।
प्रदेश में काले हिरण के शिकार के करीब दो सौ मामले दर्ज हैं। काले हिरण के शिकार की घटनाएं जबलपुर, बालाघाट और भोपाल के आस-पास सबसे ज्यादा सामने आती हैं।
हालांकि काले हिरण प्रदेश में सबसे ज्यादा राजगढ़, सिवनी, रायसेन, होशंगाबाद, गुना और शिवपुरी में हैं। इनका शिकार करना लोगों के लिए आसान होता है, क्योंकि ये जंगलों में कम और जंगलों के आस-पास के क्षेत्रों में ज्यादा रहते हैं। ये चारा, फसल और हरियाली ज्यादा पसंद करते हैं। इससे ये गांव अथवा जंगलों के किनारे रहते हैं। यहां रहने से इन्हें वन्य प्राणियों से शिकार का खतरा भी नहीं होता है। बताया जाता है कि काले हिरण के मांस की अस्सी फीसदी खपत प्रदेश में ही हो जाती है। प्रदेश में वन अपराध के मामले में आठ हजार 282 बीटों में से साढ़े चार हजार वीटे अति संवेदनशील हैं।
सभी तरह के दर्ज हुए वन अपराध
वर्ष- 2017—67716
वर्ष – 2018—-55909
वर्ष – 2019—-56512
वर्ष – 2020—-56932
वर्ष – 2021—-52205


पुलिस ने हिरण की बॉडी वन विभाग को सौंपी
भोपाल। पुलिस ने काले हिरण की बॉडी वन विभाग को सौंप दी है। जिसमें दो बॉडी है, जिसमें सर नहीं है और चार सर तथा एक मृत मोर है। विभाग ने अपने एसटीएसएफ को भी सक्रिय कर दिया है। इस मामले में एसटीएसएफ ने जांच शुरू कर दी है। कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के एक निजी अस्पताल संचालक डॉक्टर के बेटे को काले हिरण के शिकार के मामले में अनूपपुर के जंगलों में पकड़ा गया था, इससे एसटीएसएफ कुछ इस घटना की तार जोडऩे में लगी हुई है।

वन सुरक्षाकर्मी के करीब 4 पद रिक्त
प्रदेश में आरक्षक से लेकर वन क्षेत्रपाल तक के करीब चार हजार पद खाली हैं। ये वे पद हैं, जिन पर वन की सुरक्षा का पूरा बोझ है। प्रदेश के 308252 वर्ग किमी में फैले जंगलों की सुरक्षा करने के लिए वर्तमान समय पर सिर्फ 16 हजार 898 वनकर्मी हैं। सबसे ज्यादा पद वन रक्षक और वनपाल के खाली हैं।

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