scriptकोलार में 800 से अधिक खाली प्लॉट, कचरे से पनप रहे मच्छर, बढ़ रही बीमारी | More than 800 empty plots in Kolar, mosquito repellent, rising disease | Patrika News

कोलार में 800 से अधिक खाली प्लॉट, कचरे से पनप रहे मच्छर, बढ़ रही बीमारी

locationभोपालPublished: Apr 04, 2019 09:54:53 pm

Submitted by:

Rohit verma

कैसे स्वस्थ्य रहें रहवासी

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कोलार में 800 से अधिक खाली प्लॉट, कचरे से पनप रहे मच्छर, बढ़ रही बीमारी

भोपाल. कोलार के खाली प्लॉट यहां के रहवासियों की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं। नगर निगम सर्वे के अनुसार यहां करीब 800 प्लॉट खाली हैं, जो गंदगी, आवारा पशुओं को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। ऐसे में रहवासियों का स्वास्थ्य खतरे में हैं। रहवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन स्वच्छता अभियान के बाद भी निगम प्लॉट को कवर कराने उनके मालिकों पर सीधी कार्रवाई से बच रहा है।

कई ओपन स्पेस के लिए कॉलोनियों में छोड़ी गई या रह गए स्थान हैं। निगम यहां फेंसिंग कर पौधरोपण कर दे तो ये नए ग्रीन स्पेस के तौर पर विकसित हो सकते हैं। पूरे शहर में ऐसे करीब 2000 स्थान हैं, जो कब्जे और अवैध खरीद फरोख्त की जद में आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि निगम इस पर गंभीर होकर काम करे तो खुले स्थलों को पार्क या ग्रीन एरिया के तौर पर विकसित किया जा सकता है।

 

2000 वर्गफीट से 4000 वर्गफीट तक के छोटे प्लॉट कॉलोनी में पार्क के लिए छोड़े भूखंड हैं या फिर निगम के कब्जे वाले क्षेत्रों में खाली प्लॉट। ये रहवासियों के लिए स्थानीय स्तर पर छोटे पार्क या हरितक्षेत्र की भूमिका निभा सकते हैं। इसमें कई तरह के पेड़ पौधे लगाकर लोकल स्तर पर इकोलॉजिकल सिस्टम को बेहतर किया जा सकता है।

आवारा पशुओं की भरमार
को लार को नगर निगम अब तक आवारा कुत्तों के साथ सुअर, गाय और अन्य पशुओं की आवारागर्दी से मुक्त नहीं करा पाया। स्थिति ये हैं कि आवारा जानवरों की बढ़ती तादाद शहरवासियों को आतंकित किए हुए हैं। कुत्तों द्वारा आमजनों पर लगातार हमले हो रहे तो अच्छी कॉलोनियों में भटकते संक्रामक बीमारियों को बढ़ा रहे हैं। मवेशियों से भरी डेयरियों शहर की मुख्य सड़कों के किनारे, मुख्य क्षेत्रों में है। ट्रैफिक में अवरोध के साथ ही वाहन दुर्घटना का सबब बन रही है।

 

नियम में निकासी, जमीन पर नहीं कर पा रहे: नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में स्पष्ट है कि निगम सीमा में मवेशी, सुअर, कुत्ते पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। इन्हें शहर के बाहर किया जाए, ताकि शहरी व्यवस्था में बाधा न बनें। एनजीटी से लेकर कोर्ट और कई स्तरों पर लगातार आदेश-निर्देश जारी हुए कि इन्हें बाहर किया जाए। अफसरों ने इसके लिए कागजी घोड़े भी दौड़ाए, लेकिन नजीता अब तक तो सिफर ही है। शहर में 750 से अधिक ***** पालक हंै। इनमें से करीब 300 तो कोलार में ही हैं।

कोलार में नालों की सफाई भी नहीं
कोलार से गुजर रहे गंदे नालों में चार मीटर तक गाद जमा है, जबकि हाल में स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान गाद की सफाई के दावे हुए थे। दरअसल पूरी सफाई उपरी तौर पर हुई थी। पूरे शहर की बात करें तो रोजाना 700 ट्रक गाद निकालने पर भी सभी नाले साफ करने में एक साल का समय लगेगा। सोलिड वेस्ट व सीवेज मैनेजमेंट पर अध्ययन कर रहे एक्सपर्ट आशुतोष पांडे के अनुसार शहर में कुल 778 नाले हैं। इनमें से 140 बड़े व प्रमुख हैं। उनके अनुसार 80 फीसदी नाले अपनी अधिकतम गहराई की तुलना में इस समय 60 फीसदी तक भरे हुए हैं।

खाली प्लॉट और नाला सफाई को लेकर हम काम करवा रहे हैं। स्वच्छता मिशन के बाद भी रोजाना की सफाई लगातार जारी है। इसमें किसी तरह की कोताही नहीं हो रही। जहां भी शिकायत मिल रही है, वहां अलग से काम कराया जा रहा है।
मयंक वर्मा, अपर आयुक्त स्वास्थ्य

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