दरअसल कोलार की करीब दो लाख की आबादी में से बमुश्किल दस फीसदी के पास ही अपने स्त्रोतों से नलजल की व्यवस्था थी। 56 करोड़ रुपए के केरवा से कोलार जलापूर्ति प्रोजेक्ट में 160 किमी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन बिछाकर 2018 के शुरुआत में लोगों के घरों तक पानी पहुंचा दिया गया। लेकिन यहां गेहूंखेड़ा, बैरागढ़ चिचली से लेकर सर्वधर्म, गुडशेफर्ड और ललिता नगर तक में काफी जगह पानी नहीं पहुंचा।
यानि करीब सवा लाख लोगों के पास पानी पहुंचने के बावजूद अब भी यहां 70 से 80 हजार लोग ऐसे हैं, जो पानी के लिए निजी या निगम के टैंकरों के भरोसे हैं। जोन नंबर 18 व 19 में शामिल ये क्षेत्र में टैंकरों की बड़ी मारामारी हैं और लोगों को पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में नगर निगम को पूरे कोलार को नल जल से जलापूर्ति करने अब भी काम करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि शहर के बाकी हिस्सों में छोटे-छोटे पॉकेट्स में दिक्कत है, लेकिन कोलार में ललिता नगर बस स्टॉप के बाद नव विकसित पूरे क्षेत्र के करीब साथ 15 ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का संकट है। इसका अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि कोलार में अब भी रोजाना 800 से अधिक टैंकर पानी क्षेत्रों में सार्वजनिक टंकियों में भरा जा रहा है। हालांकि इसका एक बड़ा कारण कई क्षेत्रों में नल का कनेक्शन लेना भी है।
क्षेत्रीय जलकार्य इंजीनियर आशीष मार्तंण्ड का कहना है कि हमने माइक से घोषणा कराई है कि लोग कनेक्शन ले लें, लेकिन अब लोग ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे। हम कोलार के सार्वजनिक क्षेत्रों में रखी पानी की टंकियों को हटाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अभी इस प्रक्रिया को रोका गया है, जल्द ही इस पानी की टंकियां हटाई जाएंगी।
अभी एक साल का समय लगेगा
कोलार में पूरी क्षमता के साथ जलापूर्ति कराने अभी एक साल का समय लगने की स्थिति बन रही है। कोलार में करीब 60 किमी लंबी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन बिछाना बाकी है। इसके लिए नगरीय प्रशासन से राशि मंजूर कर दी गई है, बावजूद इसके जमीनी काम पूरा करने में एक साल का समय लगेगा। जब तक काम पूरा नहीं होता, कोलार वासियों के लिए दिक्कत बरकरार रहेगी।