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रियासतकालीन दुर्गोत्सव में अनेक रूपों में दिखेंगी मां दुर्गा

locationभोपालPublished: Oct 04, 2018 06:37:33 pm

Submitted by:

Rohit verma

50 साल पहले भोपाल रियासत के समय से होता आ रहा आयोजन
 

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रियासतकालीन दुर्गोत्सव में अनेक रूपों में दिखेंगी मां दुर्गा

भोपाल. शरदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है। राजधानी समेत आसपास के श्रद्धालुओं को पुराने शहर की झांकियों का इंतजार रहता है। पुराने शहर में 50 से अधिक छोटी- बड़ी झांकियों की स्थापना की जाती है। जुमेराती, पीपल चौराहा, इतवारा और सुभाष चौक की झांकियों 50 साल से अधिक समय हो चुके हैं। भोपाल रियासत के समय से झांकियां स्थापित की जा रही हैं। समय-समय पर इसके पदाधिकारी बदलते रहे, पर समितियां लगातर परंपरा को निभाती आ रही हैं।

1950 से निकल रही राम बारात
पुराने शहर के जनकपुरी में 1950 से श्री दुर्गोत्सव समिति राम बारात निकालती है। इस बार 15 अक्टूबर पंचमी पर मरघटिया हनुमान मंदिर से शुरू होगी। जनकपुरी पंहुचने पर राम दरबार का तिलक और महाआरती की जाएगी। श्री दुर्गोत्सव और श्री राम बारात उत्सव समिति के संरक्षक चंद्रमादास त्यागी, रामानंद आश्रम गुफा मंदिर और शंकरदास उदासी मरघटिया महावीर मंदिर शाहजहांनाबाद और अध्यक्ष मोहन अग्रवाल हैं।

 

जुमेराती : जुमेराती स्थित श्री नवदुर्गा उत्सव समिति 1946 से लगातार मां दुर्गा की झांकी स्थापित कर रही है। समिति अध्यक्ष मोहन अग्रवाल ने बताया कि जुमेराती चौक पर झांकी बैठाते हैं। यहां नौ दिनों तक पूजा, आरती के साथ जगराता का आयोजन होता है। झांकी में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा होती है।

पीपल चौराहा : पीपल चौराहा स्थित दुर्गात्सव समिति की झांकी देश को मिली स्वाधीनता के समय से स्थापित की जा रही है। 1950 में समिति ने मां दुर्गा की स्थापना की थी, जिसके बाद से हर साल झांकी बैठाई जा रही है।

सुभाष चौक : सुभाष चौक
यहां की झांकी भी सबसे पुरानी है। ऊंचाई में अन्य झांकियों में सबसे बड़ी होती है। समिति के विनोद बंसल के अनुसार इस साल 50 फीट ऊंची झांकी बनाई जा रही है।

इतवारा : इतवारा में 1951 में दुर्गोत्सव का आयोजन शुरू हुआ। समिति के विवेक सोनी के अनुसार पहले साज-सज्जा नहीं होती थी। पूरा ध्यान मां की आराधना पर होता था, लेकिन अब लाइटिंग और साज- सज्जा पर अधिक ध्यान दिया जाता है।

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