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दरअसल, बेलाराम करीब दस साल से साफ्ट टिश्यु सारकोमा (soft tissue sarcoma) से जूझ रहे थे। इसके चलते उनके बाएं हाथ में चार किलोग्राम का ट्यूमर (tumors) बन गया था। हमीदिया अस्पताल में सैम्पल बायोप्सी के लिए भेजे गए थे। दस दिन बाद रिपोर्ट आई और डाक्टरों ने प्लास्टिक सर्जरी प्लान की। इसी बीच बेलाराम को कोरोना हो गया। दो दिन तक बेलाराम को वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ा, लेकिन तत्काल मिले उपचार से वे कोरोना से भी ठीक हो गए। अब प्लास्टिक सर्जरी कर डाक्टरों ने उनके हाथ को पहले जैसा कर दिया।
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ऑपरेशन का आखिरी मौका था
सफल ऑपरेशन करने वाले डा. आनंद गौतम ने बताया कि बेलाराम करीब डेढ़ माह पहले सर्जरी विभाग में भर्ती हुए थे। उनका कैंसर बहुत तेजी से बढ़ रहा था। अगर सर्जरी के बाद ट्यूमर का छोटा सा पार्ट भी रह जाता है तो दोबारा दोगुनी तेजी से बढ़ता है। पहले दो ऑपरेशन फेल होने के बाद यह आखिरी मौका था। अगर इस बार चूकते तो शायद अगली बार हाथ ही काटना पड़ता।
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घबराएं नहीं
बेलाराम की कहानी उन मरीजों के लिए मिसाल है, जो कोरोना पीड़ित होने के बाद बहुत घबरा जाते हैं। डा. आनंद के मुताबिक व्यक्ति को लक्षमण दिखने पर तत्काल कोरोना टेस्ट कराना चाहिए। समय पर इलाज शुरू हो जाए तो कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है।
आरती भी डिस्चार्ज
इधर, करीब एक माह पहले भर्ती हुई आरती को डिस्चार्ज कर दिया गयाहै। पति ने कुल्हाड़ी से वार कर आरती के दोनों हाथ काट दिए थे। तब आरती को हमीदिया में रेफर किया गया, जहां उसके एक हाथ को दोबारा जोड़ा गया था। अब वह पूरी तरह काम करने लगा है।