एथलीट से बने पर्वतारोही
कभी एथलेटिक्स में कारनामे दिखाने वाले राठौर अब पहाडिय़ों को ही ट्रैक समझते हैं। शौक के लिए शुरू किया काम अब जुनून बन चुका है। पर्वतारोहियों को पहाड़ों का रास्ता दिखाने वाले जगदीश ने कई बार देशी और विदेशी पर्यटकों को चोटियों तक पहुंचाया। पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से बेसिक कोर्स करने के बाद उन्होंने दार्जीलिंग से एडवांस कोर्स किया। राष्ट्रीय स्तर के पर्वतारोहण अभियान में भाग लेने लगे। जगदीश बताते हैं यह अभियान खतरों भरा होगा। यहां जगह-जगह फिसलन होती है, जिससे हर साल कई क्लांबर मिस होते रहते हैं।
कभी एथलेटिक्स में कारनामे दिखाने वाले राठौर अब पहाडिय़ों को ही ट्रैक समझते हैं। शौक के लिए शुरू किया काम अब जुनून बन चुका है। पर्वतारोहियों को पहाड़ों का रास्ता दिखाने वाले जगदीश ने कई बार देशी और विदेशी पर्यटकों को चोटियों तक पहुंचाया। पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से बेसिक कोर्स करने के बाद उन्होंने दार्जीलिंग से एडवांस कोर्स किया। राष्ट्रीय स्तर के पर्वतारोहण अभियान में भाग लेने लगे। जगदीश बताते हैं यह अभियान खतरों भरा होगा। यहां जगह-जगह फिसलन होती है, जिससे हर साल कई क्लांबर मिस होते रहते हैं।
खतरनाक होगा सफर
अभियान के लिए 14 अगस्त को भोपाल से रवाना होंगे। 19 को गंगोत्री के लिए रवाना होंगे। गंगोत्री लास्ट रोड हेड है। यहां से भोजवासा तक 13 किमी की ट्रेकिंग पर निकलेंगे, जिसकी हाइट 4000 मीटर होगी। यहां से गंगोत्री ग्लेशियर के बाजू में तपोवन पहुंचेंगे। यहां से बेस कैंप शुरू होगा, हाइट 4600 मी. रहेगी।
अभियान के लिए 14 अगस्त को भोपाल से रवाना होंगे। 19 को गंगोत्री के लिए रवाना होंगे। गंगोत्री लास्ट रोड हेड है। यहां से भोजवासा तक 13 किमी की ट्रेकिंग पर निकलेंगे, जिसकी हाइट 4000 मीटर होगी। यहां से गंगोत्री ग्लेशियर के बाजू में तपोवन पहुंचेंगे। यहां से बेस कैंप शुरू होगा, हाइट 4600 मी. रहेगी।
15 बार छू चुके शिखर
जगदीश कुमार ने 1993 से 2016 तक 15 शिखर अभियानों में सात बार पर्यटकों को शिखर तक पहुंचाया। उन्हे दो बार ग्रेड ए व एक बार ग्रेड बी मिली। वे सात बार विदेशी पर्यटकों के साथ पर्वतारोहण किया। उन्होंने थालेय सागर (गंगोत्री), कुन (लेह-लद्दाख), सातोपंथ (गंगोत्री) आदि शिखरों पर पहुंचने में सफल रहे।
जगदीश कुमार ने 1993 से 2016 तक 15 शिखर अभियानों में सात बार पर्यटकों को शिखर तक पहुंचाया। उन्हे दो बार ग्रेड ए व एक बार ग्रेड बी मिली। वे सात बार विदेशी पर्यटकों के साथ पर्वतारोहण किया। उन्होंने थालेय सागर (गंगोत्री), कुन (लेह-लद्दाख), सातोपंथ (गंगोत्री) आदि शिखरों पर पहुंचने में सफल रहे।
इस साल कम हो गया आंकड़ा
इस साल कुल 92 पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर चढऩे की इजाजत नेपाल सरकार ने दी जो कि पिछले साल से 8 कम है। पिछले साल 100 लोगों को चढऩे की अनुमति दी गई थी। 29 मई 1953 को पहली बार माउंट एवरेस्ट पर न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाली मूल के भारतीय नागरिक तेनसिंह नोर्गे शेरपा चढ़े थे। उसके बाद से अब तकक 3,448 पर्वतारोही 5,585 बार एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं। नेपाल के अप्पा शेरपा ने 21 बार माउंट एवरेस्ट पर चढऩे का रिकॉर्ड कायम किया।
इस साल कुल 92 पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर चढऩे की इजाजत नेपाल सरकार ने दी जो कि पिछले साल से 8 कम है। पिछले साल 100 लोगों को चढऩे की अनुमति दी गई थी। 29 मई 1953 को पहली बार माउंट एवरेस्ट पर न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाली मूल के भारतीय नागरिक तेनसिंह नोर्गे शेरपा चढ़े थे। उसके बाद से अब तकक 3,448 पर्वतारोही 5,585 बार एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं। नेपाल के अप्पा शेरपा ने 21 बार माउंट एवरेस्ट पर चढऩे का रिकॉर्ड कायम किया।