कानून में इन स्कूलों को हर साल 10 फीसदी फीसवृद्धि की आजादी दी जा रही है। इससे अधिक वृद्धि के मामले जिला समिति और 20 फीसदी से अधिक वृद्धि के मामले राज्य कमेटी सुनेगी।
भोपाल। यदि आप किसी निजी स्कूल से संतुष्ट नहीं हैं, और सरकार से उसकी शिकायत करना चाहते हैं तो पहले आपको एक हजार रुपए चुकाने होंगे,और ये शिकायत भी आप तभी कर पाएंगे जब आपका बच्चा उस निजी स्कूल में पढ़ता हो। प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए बनाए जा रहे कानून में ये प्रावधान किया जा रहा है। कानून का मसौदा तैयार है, जो विधानसभा के बजट सत्र में पटल पर रखा जाएगा। इस कानून के लागू होने के बाद सरकार निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण तो रख पाएगी लेकिन फीस कितनी लगेगी ये तय करने का अधिकार उसका नहीं होगा।
अभिभावकों की आठ साल की कड़ी मेहनत और हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ‘मप्र निजी विद्यालय (फीस में अनियमित वृद्धि तथा अन्य अनुषांगिक विषयों का नियंत्रण) अधिनियम’ बना रही है। कानून का मसौदा वरिष्ठ सचिव समिति को भेजा जा रहा है। यहां से स्वीकृत होने पर कैबिनेट में भेजा जाएगा। छात्रों को भी स्कूल की शिकायत करने के लिए ऑनलाइन एक हजार रुपए जमा करने पड़ेंगे और यदि शिकायत झूठी पाई गई तो ये राशि राजसात कर ली जाएगी। इस संबंध में 30 अप्रैल-2015 को गाइड लाइन जारी की गई थी अब उसे ही कानूनी रूप दिया जा रहा है।
गरीब नहीं कर पाएंगे शिकायत
यह शायद पहला मामला है जिसमें जनता को शिकायत के लिए भी फीस देना पड़ेगी। इसे लेकर अफसरों का अपना तर्क है। वे कहते हैं कि फीस लेने से झूठी शिकायतों पर रोक लगेगी। वरना, फर्जी शिकायतों की जांच करना समस्या बन जाएगा। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह है कि एक हजार रुपए के चक्कर में गरीब और कमजोर आय वर्ग के लोग शिकायत ही नहीं करेंगे।
10 फीसदी फीस बढ़ाने की आजादी
कानून में इन स्कूलों को हर साल 10 फीसदी फीसवृद्धि की आजादी दी जा रही है। इससे अधिक वृद्धि के मामले जिला समिति और 20 फीसदी से अधिक वृद्धि के मामले राज्य कमेटी सुनेगी। ये समितियां भी स्वैच्छिक शुल्कों से संबंधित शिकायतें नहीं सुनेंगी। ये समितियां दोष सिद्ध होने पर 3 माह के कारावास, एक लाख के जुर्माने या दोनों सजा सुना सकेंगी। स्कूल की मान्यता खत्म करने की अनुशंसा भी कर सकेंगी।