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मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित

locationभोपालPublished: Jan 16, 2020 01:11:34 pm

Submitted by:

harish divekar

दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि के बाद स्थगितमध्य प्रदेश विधानसभा का दो दिवसीय सत्र गुरुवार—बुधवार को
लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं. इनमें से चार एससी एवं छह एसटी के लिए आरक्षित
विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 35 सीटें एससी एवं 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित

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मध्य प्रदेश विधानसभा का दो दिवसीय सत्र गुरुवार से शुरू हो गया। पहले दिन दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित की गयी। दो दिवसीय सत्र राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 10 साल के लिए बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी देने के लिए बुलाया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा में पास हुआ विधेयक और अब…
मध्य प्रदेश विधानसभा का दो दिवसीय सत्र एससी.एसटी विधेयक को मंजूरी के लिए ये विशेष सत्र बुलाया गया है। संविधान के 126वें संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में 10 और 12 दिसम्बर को पारित कर दिया गया था। बाद में इसे अनुमोदन के लिए राज्यों को भेजा गया। कम से कम 50 प्रतिशत विधानसभाओं की सहमति होने के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा।
यह विधेयक इसलिए जरूरी हो गया, क्योंकि आरक्षण की अवधि इस वर्ष 25 जनवरी को खत्म हो रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव ए पी सिंह ने कहा देश की 50 प्रतिशत विधानसभाओं का अनुमोदन मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा और उनकी स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
मध्‍य प्रदेश में हैं इतनी सीटें


फिलहाल मध्य प्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं. इनमें से चार एससी एवं छह एसटी के लिए आरक्षित हैं. जबकि प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 35 सीटें एससी एवं 47 सीटें एसटी सदस्यों के लिए आरक्षित हैं
मुख्यमंत्री स्वैच्छानुदान 125 करोड़ हुआ
विधानसभा से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की। इसमें बड़ा फैसला लिया गया कि अब चतूर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले मुख्यमंत्री समन्वय के बिना हो सकेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान की राशि इस साल 125 करोड़ रखी गई है। पान उत्पादक किसानों की मदद के लिए 30 हजार की राशि देने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मज़ूरी दे दी। इसी के साथ निवाड़ी जिले के गवर्नेंस के लिए पदों को मंजूरी और खनन वाले स्थानों की सड़कों के मेंटेनस की ज़िम्मेदारी निजी क्षेत्र को देने का फैसला भी कैबिनेट ने लिया।

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