साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार मांगें पूरी नहीं करती तो चुनाव से पहले भाजपा के विरोध प्रचार करेगी। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल पुनः 5 साल किए जाए और नए अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।
कृषकों की भागीदारी अधिनियम 1999
इधर, नहरों से सिंचाई जल का लाभ लेने वाले किसानों की प्रतिनिधि संस्था जल उपभोक्ता संथाओं के निर्वाचन का कार्यक्रम जारी हो गया है। प्रदेश में जल उपभोक्ता संथाओं के चुनाव तीसरी बार होंगे। सिंचाई व्यवस्था में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए जल उपभोक्ता संथाओं का गठन किया गया है।
सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी अधिनियम 1999 के तहत सिंचाई परियोजनाओं के कमांड क्षेत्र में जल उपभोक्ता संथाओं की प्रबंध समिति के अध्यक्षों और सदस्यों के द्वितीय कार्यकाल के चुनाव वर्ष 2006 में कराये गये थे। जिनके परिणामस्वरूप 1687 जल उपभोक्ता संथाए कार्यरत हैं।
तृतीय कार्यकाल के लिए जल उपभोक्ता संथाओं की संख्या बढ़कर 2028 हो गई है। इन सभी संथाओं के लिए मतदान होगा। प्रत्येक वैध मतदाता अध्यक्ष एवं टी.सी. सदस्यों के लिए अलग-अलग मतदान करेगा। मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहां भू-धारक की पत्नि जो भू-धारक नहीं है को भी भू-धारक मानकर मतदान का अधिकार प्राप्त है।
निर्वाचन कार्य के लिए राजस्व संभाग के संभागीय आयुक्त संभागीय निर्वाचन अधिकारी तथा जिला कलेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी होंगे। निर्वाचन प्रक्रिया के विस्तृत कार्यक्रम की सूचना संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों एवं जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंताओं और कार्यपालन यंत्रियों को भेज दी गई है।
एक अगस्त से आठ अगस्त तक नाम सम्मिलित करने पर आपत्ति, नाम सम्मिलित करने का आवेदन एवं प्रविष्टि निकालने का आवेदन दिया जा सकेगा। जल उपभोक्ता संथावार पदों के निर्वाचन की सूचना जारी होगी।