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घर से कपड़े धुलाई-प्रेस के काम पर पलता है छह सदस्यों का परिवार, होनहार बेटी ने फैलाई ‘कीर्ति’

locationभोपालPublished: Jul 06, 2020 01:27:48 am

Submitted by:

praveen malviya

माता-पिता से सैकड़ों किमी दूर रह रहे श्रमिक माता-पिता के बेटे ने भी लहराया परचम
 

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घर से कपड़े धुलाई-प्रेस के काम पर पलता है छह सदस्यों का परिवार, होनहार बेटी ने फैलाई ‘कीर्ति’

भोपाल. बच्चों की पढ़ाई के लिए सामान्यत: माता-पिता हमेशा चिंतित रहते हैं और उन्हें पढ़ाई के लिए हरसंभव सुविधा देकर लगातार प्रेरित भी करते रहते हैं। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनकी परिस्थितियां उन्हें पढ़ाई पर एकाग्र होने तक का मौका नहीं देंती। लेकिन ऐसे विपरीत हालातों में भी वे अपना रास्ता खुद बना लेते हैं। मप्र बोर्ड के हाई स्कू ल परिणामों में राज्य स्तरीय प्रावीण्य सूची में छठवां स्थान लाने वाली शहर की कीर्ति ने और जिले की सूची में पहला स्थान पाने वाले नीरज दो ऐसे ही नाम है। कीर्ति का छह लोगों का परिवार पिता की घर से चलने वाली छोटी सी प्रेस की दुकान से चलता है तो श्रमोदय आवासीय विद्यालय में रहने वाले नीरज के माता-पिता उससे 250 किमी दूर टीकमगढ़ में मजदूरी करते हैं। लेकिन दोनों ने विपरीत परिस्थितियों को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

विषम परिस्थितियों में भी नहीं मानी हार

लक्ष्मी गल्ला मंडी शासकीय शाला की छात्रा कीर्ति रजक के पिता मुकेश की कुछ महीनों पहले तक अशोका गार्डन में ड्रायक्लीन की दुकान थी। लेकिन लॉकडाउन के ठीक पहले मकान बदलना पड़ा और छह लोगों का परिवार छोटे से घर में आ गया। तीन बहनें, एक भाई और माता-पिता के बीच एकमात्र आजीविका घर से लगी छोटी सी दुकान बन गई। कीर्ति के पास न तो अलग से पढ़ाई का कोई कमरा था, न ही कोचिंग या अन्य कोई सुविधा, लेकिन कीर्ति ने हार नहीं मानी।

प्रदेश में पाया छठा स्थान
बड़ी बहन की मदद से पढ़ाई की और घर-दुकान के कामों में हाथ बंटाते हुए परीक्षा दी और इन्हीं हालातों में प्रदेश में छठा स्थान हासिल कर लिया। कीर्ति सफलता का श्रेय माता विनिता-पिता मुकेश और शिक्षकों को देती हैं। लॉकडाउन में इस परिवार की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है, लेकिन कीर्ति हार मानने को तैयार नहीं है। कीर्ति का कहना है कि वे विज्ञान विषय ही लेंगी और ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती हैं। इसके लिए पहले खूब पढ़कर नॉलेज गेन करेंगी।

माता-पिता से दूर रहकर पढ़ाई
जिले के हजारों निजी और सरकारी स्कू लों के लाखों बच्चों के बीच जिले की मेरिट लिस्ट में पहला स्थान श्रमोदय विद्यालय के छात्र नीरज अहिरवार ने हासिल किया है। नीरज के माता-पिता टीकमगढ़ में मजदूरी करते हैं। श्रमिकों के बच्चों के लिए बने विद्यालय में प्रवेश मिला तो माता-पिता से दूरी को अपने पर हावी न होने देते हुए नीरज जुट गया। उसने जमकर मेहनत की और 98.3 फीसदी अंक लाकर जिले की प्रावीण्य सूची में पहला स्थान हासिल किया। खास बात यह है कि 10वीं के रिजल्ट में श्रमोदय आवासीय विद्यालय का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। श्रमोदय विद्यालय में केवल श्रमिकों के बच्चे ही पढ़ते हैं। ऐसे में एक श्रमिक के बेटे के द्वारा आवासीय विद्यालय में रहकर उपलब्धि पाना बड़ी उपलब्धि है वहीं विद्यालय का शतप्रतिशत परिणाम भी उत्साहजनक है।

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