बोर्ड के रिजल्ट में 10वीं में 61 फीसदी तो 12वीं में 72 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। पिछले वर्ष से तुलना करें तो 10वीं का रिजल्ट पांच फीसदी गिरा है तो 12वीं में 4.3 फीसदी का सुधार देखा गया।
नीमच जिला रहा अव्वल
बोर्ड में सफल छात्राओं का प्रतिशत 63.69 तो छात्रों का 59.15 रहा। वहीं हायर सेकंडरी में 68.94 छात्र और 76.31 प्रतिशत छात्राओं ने सफलता हासिल की। हाईस्कूल में 82.89 प्रतिशत विद्यार्थियों की सफलता के साथ नीमच पहले और 82.12 फीसदी के साथ देवास दूसरे स्थान पर रहा। हायर सेकंडरी में 85.22 फीसदी विद्यार्थियों की सफलता के साथ नीमच पहले तथा 85.07 फीसदी सफलता के साथ हरदा दूसरे स्थान पर रहा।
दसवीं में 61.3%
लड़कियां – 63.69%
लड़के – 59.15%
बारहवीं में 72.4%
लड़कियां – 76.31%
लड़के – 68.94%
चौकीदार के बेटे ने दसवीं में पाया पहला स्थान
घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद दिन-रात मेहनत कर सागर के आयुष्मान ताम्रकर ने 10वीं में पहला स्थान हासिल किया है। पिता विमल ताम्रकर एक मैरिज गार्डन में चौकीदार हैं। मां बरखा ताम्रकर ने बताया उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है। वे अब दवाई के भरोसे हैं। कई बार ऐसा भी हुआ, जब आयुष्मान ने पिता की जगह ड्यूटी कर परिवार को संभाला।
नहीं आएगी अड़चन
एक्सीलेंस स्कूल के प्राचार्य आरके वैद्य ने कहा, आयुष्मान की इच्छानुसार उसे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग कराई जाएगी। पढ़ाई में कोई अड़चन नहीं आएगी।
खुद मेहनत कर पाई सफलता
आर्या जैन 12वीं चन्देरी शासकीय मॉडल स्कूल की छात्रा आर्या जैन ने बगैर टयूशन के पढ़ाई कर साइंस कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया है। आर्या ने दिन-रात मेहनत कर यह सफलता हासिल की है। अपनी सफलता का श्रेय उसने माता-पिता व गुरुजनों को दिया, जिनकी प्रेरणा से वह इस मुकाम तक पहुंच पाई। आर्या के पिता कोरियर सर्विस चलाते हैं। माता रश्मि जैन गृहिणी हैं।
किसान के बेटे ने छुआ आसमां
गर के गगन दीक्षित ने घर पर रहकर ही पढ़ाई की। परीक्षा नजदीक आने पर विषय के अनुसार अध्ययन किया। पिता राजेश दीक्षित किसान हैं। पांच एकड़ जमीन ही आय का जरिया है।
क्रिकेट से बना ली थी दूरी
भोपाल के विवेक गुप्ता ने आर्थिक समस्याओं से जूझते हुए कॉमर्स में टॉप किया है। विवेक ने बताया उसे क्रिकेट पसंद है, लेकिन अच्छा अंक लाने के लिए उसने क्रिकेट खेलना बंद कर दिया था।
बिना कोचिंग के तैयारी
सिवनी की दृष्टि बिना कोचिंग के ही अव्वल आई। आइएएस बनने का सपना लिए 12वीं की तैयारी में दृष्टि नियमित 6-7 घंटे पढ़ाई करती थी। पिता शिवशंकर सनोडिया शिक्षक हैं।