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मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की आर्थिक सेहत बिगड़ी, जानिये क्या है स्थिति

locationभोपालPublished: Jan 15, 2020 05:33:28 pm

फंड में फीसदी की गिरावट…

मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की आर्थिक सेहत बिगड़ी, जानिये क्या है स्थिति

मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की आर्थिक सेहत बिगड़ी, जानिये क्या है स्थिति

भोपाल@अरुण तिवारी की रिपोर्ट…

मध्य प्रदेश madhya pradesh में इन दिनों दोनों बड़ी पार्टियों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी bjp पर मंदी की मार का असर दिखाई दे रहा है।
वहीं प्रदेश में कांग्रेस comgress माली हालत सुधारने के लिए एआईसीसी AICC द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बावजूद अब तक इस ओर किसी की खास दिलचस्पी नहीं दिख रही है। जिसके चलते आदेशों के बावजूद विधायकों mp politics ने अपना वेतन देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
ऐसे में एक ओर जहां भाजपा के सत्ता से बेदखली के साल भर बाद ही पार्टी के पितृपुरुष कुशाभाऊ ठाकरे द्वारा स्थापित आजीवन सहयोग निधि mp politics से मिलने वाले फंड में 70 फीसदी की गिरावट financial conditions आ गई है।
दूसरी ओर 15 साल सत्ता का वनवास भोगने वाली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की माली हालत सुधारने के लिए एआईसीसी ने निर्देश जारी किए थे। एआईसीसी ने कहा कि पार्टी का हर विधायक साल में एक बार पीसीसी में एक माह का वेतन financial conditions जमा करेगा। लेकिन एक साल में सिर्फ एक मंत्री और एक विधायक ने ही अपनी पगार पीसीसी में जमा कराई है।
इसमें कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री हर्ष यादव और हाटपिपल्या से विधायक मनोज चौधरी ने ही पीसीसी को एक महीने का वेतन दिया है। कांग्रेस के 115 विधायक हैं जिनमें से 113 ने अब तक एक माह का वेतन नहीं दिया है।
भाजपा BJP NEWS : सामने आ रही जानकारी के अनुसार बीते साल 2019 में भाजपा ने आजीवन सहयोग निधि के तहत 10 करोड़ रुपए एकत्र करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन मात्र तीन करोड़ दस लाख रुपए ही एकत्र हो पाए। वहीं सत्ता में रहने के दौरान पार्टी ने 2018 में 10 करोड़ और 2017 में नौ करोड़ की रकम आजीवन सहयोग निधि से जुटाई थी।
कांग्रेस Congress News : एआईसीसी ने प्रदेश में लंबे समय से सरकार से बाहर रहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए ये व्यवस्था की थी। ये निर्देश सभी राज्य कमेटी को दिए गए थे।
इसके अनुसार विधायकों के वेतन से जो राशि आएगी उससे पीसीसी का संचालन किया जाएगा। 2018 कांग्रेस के लिए बेहतर साबित हुआ और मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकारें बन गईं।

लेकिन सरकार बनने के बाद भी इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। नियमानुसार विधायक को साल में एक बार अपना मूल वेतन ही पार्टी कार्यालय में जमा करना है जो करीब 30 हजार होता है। इस हिसाब से पार्टी फंड में करीब 34 लाख 50 हजार रुपए जमा होने चाहिए थे लेकिन सिर्फ 60 हजार रुपए जमा हुए।
बीजेपी: पार्टी कार्यालय का चलता है खर्च…
रकम कम आने से पार्टी की आर्थिक सेहत बिगड़ गई है। खर्च चलाने के लिए पार्टी को अपनी पुरानी एफडी तोड़कर काम चलाना पड़ रहा है। इस निधि से एकत्र होने वाली रकम से ही संगठन के रोजमर्रा के खर्च चलते हैं।
इसी से कार्यालय के रखरखाव, कार्यरत कर्मचारियों को वेतन बांटने से लेकर बैठक और कार्यक्रमों पर खर्च होता है। आजीवन सहयोग निधि का आधा पैसा प्रदेश कार्यालय और आधा जिला कार्यालय के बीच बांटा जाता है। अब पार्टी पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि 11 फरवरी से फिर आजीवन सहयोग निधि एकत्र करने का अभियान शुरू करने पर विचार कर रही है।

कांग्रेस : करीब 25 लाख रुपए मासिक खर्च :
सूत्रों के मुताबिक पीसीसी का महीने का खर्च करीब 25 लाख रुपए से ज्यादा है। इसमें कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, प्रदेश और प्रदेश से बाहर से आने वाले पदाधिकारियों का खर्च, नेताओं के दौरे, पार्टी की बैठक ें, परिवहन समेत डीजल-पेट्रोल का खर्च शामिल है।
संगठन में प्रमुख पद पर रहे पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी के मुताबिक जब सरकार नहीं थी तब पीसीसी का खर्च दस लाख रुपए महीना था। इसमें पांच लाख रुपए एआईसीसी की ओर से आते थे बाकी पार्टी नेताओं का चंदा और जवाहर भवन में बनी दुकानों के किराए से इंतजाम होता था।
आजीवन सहयोग निधि के लक्ष्य पूरा न हो पाने के बारे में जहां भाजपा की ओर से कुछ भी कहने से बचा जा रहा है। वहीं कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर का कहना है कि ये पार्टी का अंदरुनी मामला है।
विधायकों की दिलचस्पी न होने जैसी कोई बात नहीं है। इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने में अभी समय है। मंत्री और विधायक लगातार जनता की सेवा में व्यस्त हैं और 15 साल की बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं। –
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