सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ( MP Congress Government ) इन दिनों दो दांवों पर खास तौर से कार्य कर रही है। ऐसे में यदि कांग्रेस सरकार ( Congress Government ) के ये दोनों दांव सटिक बैठते हैं। तो यह सरकार आराम से अपने पूरे पांच साल का कार्यकाल चला लेगी।
बताया जाता है कि कांग्रेस सरकार ( congress news ) के लिए मुख्य रूप से दो अड़चने बनी हुईं हैं, इनमें एक जहां भाजपा है जो काफी कम अंतर के साथ विधान सभा में दूसरे स्थान पर जमी हुई है। वहीं दूसरा कारण निर्दलीयों व अन्य दलों का जो समर्थन दे रहे हैं, उनका कभी कभी रूठ जाना या पद की मांग करना है।
इन सभी समस्याओं से बाहर निकलने व दबाव मुक्त होने के लिए सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने रणनीति तैयार कर ली है। इसके तहत कांग्रेस ( congress ) दो दांवों पर कार्य कर रही है और यदि ये दांव सफल होते हैं, तो MP में कांग्रेस की सरकार न केवल अपना कार्यकाल आसानी से पूरा करेगी,बल्कि उस समाया दूसरे दलों का खौफ भी दूर हो जाएगा।
समाने आ रही जानकारी के अनुसार पहले दांव के तहत कांग्रेस अपने विधायकों ( MLA ) को हर स्थिति में अपने साथ जोड़े रखेगी। जबकि किसी एक और निर्दलीय को कोई पद दिया जा सकता है।
वहीं दूसरा मुख्य दांव झाबुआ में खेलने की तैयारी है, यहां से भाजपा विधायक डामोर के सांसद बन जाने के बाद उनकी खाली हुई सीट को किसी भी कीमत पर जीतने की तैयारी कर रही है।
ऐसे समझें पूरा गणित…
दरअसल मध्यप्रदेश में कुल 230 विधायक ( madhya pradesh MLA ) हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास खुद के 114 विधायक हैं। लेकिन बहुमत के लिए 116 विधायकों की आवश्यकता होती है। अभी कांग्रेस को 2 बसपा, 1 सपा व चार निर्दलीय विधायक समर्थन दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस को डर है कि भाजपा इन्हें तोड़ कर सरकार को अस्थिर कर सकती है। जिसके चलते एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जयसवाल को कांग्रेस पहले ही मंत्री बना चुकी है। जिसके चलते कांग्रेस के पास 115 विधायकों की मजबूती है।
वहीं भाजपा पर चुनाव के वक्त 108 विधायक थे, लेकिन झाबुआ के डामोर ( BJP MP ) के सांसद बनने से उसके पास आंकड़ा वर्तमान में केवल 107 का ही रह गया है। ऐसे में विधानसभा भी 229 की रह गई है। जिसमें बहुमत के लिए 115 विधायक ही चाहिए जो कांग्रेस ( congress hindi news ) के पास पर्याप्त स्थिति में हैं।
वहीं झाबुआ में चुनाव के बाद विधानसभा में 230 विधायक हो जाएंगे ऐसे में सरकार के लिए 116 का आंकड़ा जरूरी हो जाएगा। इसे देखते हुए कांग्रेस इस बार डामोर की सीट पर किसी भी स्थिति में जीत चाह रही है। ताकि उनका आंकड़ा 116 विधायकों का हो जाए। ऐसी स्थिति होने पर हर कोशिश के बावजूद कांग्रेस सरकार मध्यप्रदेश ( MP Congress Government ) में डटी रहेगी।
वहीं राजनीति के जानकार डीके शर्मा कहते हैं यदि डामोर की सीट कांग्रेस हार भी जाती है तो भी वह एक अन्य निर्दलीय को मंत्री पद देकर अपना आंकड़ा पूरा कर सकती है। दरअसल कांग्रेस को अभी लगातार निर्दलीयों से भी खौफ बना हुआ है कि वे कहीं भाजपा की ओर न झुक जाए।
ऐसी स्थिति में यदि भाजपा डामोर की सीट पर वापस विजय प्राप्त कर लेती है और 1 निर्दलीय जो कांग्रेस में मंत्री हैं को छोड़ कर बाकि समर्थन दे रहे भाजपा के पाले में चले जाते हैं तो कांग्रेस के लिए सरकार बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। वहीं यदि डामोर की सीट पर कांग्रेस जीत जाती है।
तो उसे बाहर से किसी समर्थन की जरूरत नहीं होगी। एक ओर जहां कांग्रेस के विधायकों की संख्या 115 हो जाएगी, वहीं निर्दलीय विधायक व वर्तमान मंत्री प्रदीप जायसवाल की मदद से वह सरकार बरकरार रख सकेगी और निर्दलीयों के दबाव से भी बाहर भी निकल सकेगी। लेकिन इसमें सबसे पहले कांग्रेस को एकजुट रहना होगा।
: कांग्रेस विधायकों को व्हिप जारी किया गया।
: अब डिनर डिप्लोमेसी के बाद विधायक दल की बैठक होगी।
: बैठक में विधायकों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए।
: विधायक दल की ये बैठक 17 जुलाई को होनी है।
: वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को कांग्रेस ने बडी जिम्मेदारी देते हुए कर्नाटक सरकार को बचाने के लिए बेंगलुरु भेजा।