एक ओर जहां लगातार कांग्रेस की सरकार गिरने की भाजपा की ओर से आ रही आवाजों ने कांग्रेस सरकार की नींद उड़ा रखी है, वहीं नेताओं की बेरुखी कांग्रेस के लिए टेंशन का कारण बनी हुई है।
दरअसल सरकार के करीब 12 मंत्री पदों पर आसीन होने के बावजूद पीसीसी नहीं पहुंच रहे हैं। ये वो मंत्री हैं जो शपथ लेने के बाद से अब तक केवल एक ही बार पीसीसी पहुंचे हैं।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटी से मंत्रियों की इस बेरुखी से प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) में नाराजगी बनी हुई है। जबकि इससे पहले ही मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मंत्रियों को साफ संकेत दे दिए थे, कि वे मंत्री कांग्रेस कार्यकर्ताओं की वजह से बने हैं।
इसलिए उनसे संवादहीनता न करें और उनकी बात सुनें,यह बात कमलनाथ ने मंत्रियों के शपथ लेने के बाद ही उनकी पीसीसी में बैठक बुलाकर कही थी। बावजूद इसके करीब 12 मंत्री तो पद मिलने के बाद ऐसे रहे जो एक ही बार पीसीसी पहुंचे।
वहीं लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया दो दिन बैठकें ली, इसी के चलते वे कार्यकर्ताओं से शुक्रवार को भी मिले। इस दौरान उनसे मिलने खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी और सुरेंद्र सिंह बघेल ही पीसीसी पहुंचे।
इससे पहले मंत्री बालाबच्चन के अलावा डाॅ. गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, गोविंद राजपूत, तुलसी सिलावट जयवर्द्धन सिंह, इमरती देवी, ओमकार सिंह मरकाम, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सचिन यादव, हर्ष यादव, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया और लाखन सिंह यादव एक-दो बार ही यहां पहुुंचे।
निरंतर संवाद करें…
प्रदेश प्रभारी बावरिया ने भी मंत्रियों से कहा है कि वे कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद करें, जिसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिल सके।
बावरिया ने इस चुनाव प्रभारियों की सूची तैयार कर रहे हैं, जिन्हें खासतौर पर संसदीय क्षेत्र में मंत्रियों और कार्यकर्ताओं के बीच में मनमुटाव की दूर करने को कहा है।
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अटकलों पर लगाया विराम…
इससे पहले मध्य प्रदेश में नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर जारी अटकलों के बीच प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा था कि फिलहाल सीएम कमलनाथ ही प्रदेश अध्यक्ष रहेंगे, इस पर फैसला पार्टी हाईकमान ही लेगा।
गुरुवार को बाबरिया आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में उन्होंने बैठक ली। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन पर कोई विचार नहीं हो पाया है, लेकिन इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी और संभावाओं पर चर्चा की। यहां उन्होंने कहा संगठन का पुनर्गठन लोकसभा चुनाव के बाद किया जाएगा। वहीं निगम-मंडलों में नियुक्ति भी लोकसभा चुनाव तक नहीं की जाएंगी।