scriptई-टेंडर घोटाला : 42 नए टेंडरों में सर्ट-इन की रिपोर्ट में टेंपरिंग की पुष्टि, EOW जल्द करेगा FIR | mp e tender live news : tempering in 42 new tenders found | Patrika News

ई-टेंडर घोटाला : 42 नए टेंडरों में सर्ट-इन की रिपोर्ट में टेंपरिंग की पुष्टि, EOW जल्द करेगा FIR

locationभोपालPublished: Oct 13, 2019 08:28:37 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

– सबसे ज्यादा छेड़छाड़ नर्मदा घाटी विकास और जल संसाधन विभाग के अरबों रुपए के प्रोजेक्ट वाले टेंडरों में मिली है।
– डीपीआर का मूल मूल्य बदलकर कई गुना अधिक किया, फिर ठेकेदार को एसओआर से 30 फीसदी कम दर पर दिया गया।

E Tender scam: इंदौर के ठेकेदारों को किया तलब, पूछताछ जारी

E Tender scam: इंदौर के ठेकेदारों को किया तलब, पूछताछ जारी

भोपाल : ई-टेंडर घोटाले में 16 से ज्यादा विभागों के अरबों रुपए के 42 नए टेंडरों में भी टेंपरिंग कर घोटाला करने की पुष्ठि हो गई है। जांच एजेंसी आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने 9 टेंडरों में टेंपरिंग की जांच के दौरान 52 ऐसे टेंडरों की छंटनी की थी, जिनमें टेंपरिंग की आशंका थी। इनकी कई बार की तकनीकी जांच के बाद 42 टेंडर शॉर्ट लिस्ट कर इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) नई दिल्ली को जांच के लिए भेजे गए थे।

सर्ट-इन ने अरबों रुपए के इन टेंडरों में भी टेंपरिंग की पुष्ठि की है। ईओडब्ल्यू को इन टेंडरों में टेंपरिंग की आशंका तो पहले से ही थी, लेकिन कोर्ट में केस मजबूत करने के लिए प्रमाणिक एजेंसी की रिपोर्ट की आवश्यकता थी। गौरतलब है कि ईओडब्ल्यू जिन 9 टेंडरों की जांच कर रहा हैं, उनकी तकनीकी जांच रिपोर्ट भी सर्ट-इन द्वारा ही तैयार की गई थी। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने अप्रेल 2019 में 9 टेंडरों में टेंपरिंग के आरोप में 7 कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया था।

18 मई 2018 को ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडर मामले की जांच शुरु की थी, लेकिन 10 अप्रेल 2019 को केस दर्ज किया। जांच में यह भी पता चला है कि अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के बीच 52 टेंडरों में टेंपरिंग की गई। इनमें से 42 टेंडरों में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी हैं। अब ईओडब्ल्यू जल्द ही नए केस दर्ज करेगा। सभी टेंडरों में अलग-अलग केस दर्ज करने की तैयारी की जा रही है। ईओडब्ल्यू डीजी सुशोभन बैनर्जी का कहना है कि सर्ट-इन की रिपोर्ट आ गई है, इसकी छानबीन की जा रही है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।

डीपीआर में भी किया है बदलाव

ईओडब्ल्यू की जांच में इस बाद की पुष्टि हुई है कि इन सभी 42 टेंडरों की मूल डीपीआर में विभागीय टेंडर समितियों और अफसरों ने बदलाव किया है। जैसे किसी ठेके की मूल डीपीआर 100 करोड़ रुपए बनाई गई थी, तो इसे बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए कर दिया गया। बढ़ी हुई डीपीआर के बाद कुछ टेंडर तो पीडब्ल्यूडी के एसओआर के बिलो रेट पर ठेकेदारों ने उठाए। इस पर यह प्रचारित किया गया कि काम 30-35 फीसदी एसओआर बिलो रेट पर दिया गया, जबकि उस काम की मूल डीपीआर ही बदल दी गई थी। डीपीआर बदलने का सबसे अधिक काम नर्मदा घाटी विकास और जल संसाधन विभाग के अरबों रुपए के प्रोजेक्ट वाले टेंडरों में किया गया है।

इन विभागों के है प्रमुख टेंडर

9 टेंडरों में टेंपरिंग की जांच के दौरान करीब 3.5 लाख टेंडरों को जांच के दायरे में शामिल किया गया। इनमें से नर्मदा घाटी विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, राजधानी परियोजना प्रशासन, एनेक्सी भवन निर्माण, नगरीय प्रशासन, स्मार्ट सिटी, नगर निगम, सडक़ विकास निगम, लोक निर्माण विभाग, पीआईयू, पर्यटन, पंचायत, विधि एवं विधायी कार्य, स्वास्थ्य विभाग, मेट्रो रेल, वन विभाग, नवीन एवं नवकरणीय, तकनीकी शिक्षा विभागों के 42 टेंडर शामिल है। 3.5 लाख टेंडरों की जांच के बाद 42 टेंडर पकड़ में आए हैं, जिनमें टेंपरिंग कर टेंडर हासिल किए गए हैं। इनमें से कई के काम पूरे हो चुके हैं तो कुछ के काम अभी चल रहे हैं। टेंपरिंग की पुष्ठि होने के बाद ईओडब्ल्यू इन टेंडरों की वेल्यू पता लगाने जा रहा है।

ये बनाए जाएंगे आरोपी

इन विभागों के तत्कालीन अफसर, टेंडर समितियां, टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी, ठेका लेने वाली कंपनियों के अधिकारी, दलाल, नेताओ के शामिल होने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि जिन विभागों की डीपीआर में बदलाव किया गया है, उनमें तत्कालीन विभागीय मंत्री-मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव स्तर की कमेटियों में शामिल रहने वाले भी जिम्मेदार है।

इनमें दलालों की भूमिका निभाने वालों को भी आरोपी बनाया जाएगा। ईओडल्यू के सूत्रों का कहना है कि इन टेंडरों में छेड़छाड़ करने में ऑस्मो आईटी सॉल्यूशंस प्रालि कंपनी और एंटेरस सिस्टम्स प्रालि कंपनी के पदाधिकारियों की अहम भूमिका रही है, इसलिए नए प्रकरणों में भी इन्हें आरोपी बनाया जाएगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो