इन स्कूलों को वल्र्ड क्लास बनाया जाएगा यानी इनका इन्फ्रास्ट्रक्चर देश के सबसे बेहतरीन स्कूलों जैसा होगा। इनमें शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त होगी। इन स्कूलों में कक्षा एक से बारहवीं तक की पढ़ाई कराई जाएगी। सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि इन स्कूलों में छात्रों का रिजल्ट 100 फीसदी आएगा और अगले पांच साल में सारे बच्चे फस्र्ट डिवीजन पास होंगे। सरकार मानती है कि यदि उसका ये प्रयोग सफल रहा तो अगले पांच साल में प्रदेश में स्कूल शिक्षा की तस्वीर बदल जाएगी।
इस तरह होगा 1 हजार स्कूलों का चयन :
प्रदेश में एक हजार स्कूलों के चयन के लिए सरकार ने कुछ मापदंड तय किए हैं। इनमें हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों का चयन ही किया जाएगा। इसमें चयन के लिए एक परिसर-एक शाला के तहत संचालित कक्षा 1 से 10, कक्षा 1 से 12, कक्षा 6 से 12 और कक्षा 9 से 12 तक संचालित हों। एक स्कूल में कम से कम 400 से ज्यादा बच्चे होने चाहिए। स्कूल में पर्याप्त शिक्षक होने की अनिवार्यता भी है। इन स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा हो और पर्याप्त संख्या में क्लासरुम हों। मिशन 1000 में चयन के लिए पिछले तीन सालों का रिजल्ट भी देखा जाएगा। बेहतर रिजल्ट के आधार पर ही स्कूल का चयन इस मिशन के लिए किया जाएगा।
ये है मिशन – 1000 का लक्ष्य :
– प्रथम वर्ष : इन स्कूलों के लिए सरकार ने कुछ लक्ष्य भी तय किए हैं। स्कूल शुरु होने के पहले साल सौ फीसदी छात्र बोर्ड की परीक्षाओं में पास हों। कम से कम 50 फीसदी छात्रों का रिजल्ट फस्र्ट डिवीजन यानी 60 फीसदी से उपर आना चाहिए।
– द्वितीय वर्ष : शत प्रतिशत विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं में पास होने के साथ-साथ न्यूनतम 60 फीसदी छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होना चाहिए।
– तृतीय वर्ष : तीसरे साल में सौ फीसदी रिजल्ट के साथ 70 प्रतिशत छात्र फस्र्ट डिवीजन में पास होना चाहिए।
– चतुर्थ वर्ष : सरकार की कार्ययोजना के अनुसार चौथे साल में 80 फीसदी छात्र फस्र्ट डिवीजन में पास होंगे।
– पंचम वर्ष : इन स्कूलों के पांचवें साल में बोर्ड परीक्षाओं के शत-प्रतिशत छात्रों का परीक्षा परिणाम फस्र्ट डिवीजन में आएगा।
शिक्षक और प्रचार्यों की होगी ट्रेनिंग :
इन एक हजार स्कूलों में तैनात होने वाले शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षा जगत की नामचीन हस्तियों से इस प्रशिक्षण का खाका तैयार किया जा रहा है। देश के मशहूर स्कूलों के विषय विशेषज्ञ इन शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे। शिक्षकों का चयन भी उनके तीन साल के रिजल्ट के आधार पर किया जाएगा। वहीं इन स्कूलों के प्रचार्यों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इन स्कूलों में एडवांस पढ़ाई के साथ-साथ व्यायाम,योग,तैराकी और खेल की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। इनके लिए ट्रेंड ट्रेनर नियुक्त किए जाएंगे।
वर्तमान में ये है स्कूल शिक्षा की हालत :
वर्तमान में प्रदेश की स्कूल शिक्षा की हालत बहुत खराब है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्राथमिक स्कूल के 46 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें पढऩा भी नहीं आता। प्रदेश में साठ फीसदी स्कूलों में खेल सामग्री तक नहीं है। स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है कई स्कूल तो एक-एक शिक्षक के सहारे हैं। प्रदेश का स्कूल शिक्षा का स्तर देश में निचले पायदान पर आता है।
– स्कूल शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सराकर बहुत गंभीर है। हम मिशन-1000 पर काम कर रहे हैं। प्रदेश के एक हजार स्कूलों को देश के बेहतरीन स्कूलों की तरह सुविधाएं देंगे और हमने लक्ष्य तय किया है कि इन स्कूलों का रिजल्ट शत-प्रतिशत हो। हम अगले पांच सालों में प्रदेश की पूरी शिक्षा व्यवस्था को बदलकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराएंगे। – डॉ प्रभुराम चौधरी स्कूल शिक्षा मंत्री,मप्र