भोपाल

MP ELECTION 2018 : प्रदेश की राजनीति में खत्म हो चुका डकैतों का दबदबा

MP ELECTION 2018 : डकैत पृष्ठभूमि के आखिरी विधायक थे प्रेम सिंह, चित्रकूट से तीन बार रहे विधायक

भोपालNov 16, 2018 / 01:42 pm

KRISHNAKANT SHUKLA

MP ELECTION 2018 : प्रदेश की राजनीति में खत्म हो चुका डकैतों का दबदबा

भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करीब पांच दशक में पहली बार डकैतों का दबदबा नहीं है। न कोई डकैत चुनाव मैदान में है और ना ही कोई डकैत किसी प्रत्याशी के समर्थन में आगे आया है। हालांकि, आत्मसमर्पित डकैत मलखान सिंह अपने समर्थक सरदार परिहार को डबरा से टिकट देने की पैरवी करने प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे थे। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से मुलाकात की थी, लेकिन बात नहीं बनी।

राजनीति के मैदान में बाहुबली

2013 के चुनाव में चित्रकूट से बड़ी जीत हासिल करने वाले प्रेम सिंह राजनीति के मैदान में बाहुबली साबित होने वाले डकैत पृष्ठिभूमि के आखिरी विधायक थे। डकैती की दुनिया से राजनीति में आने वाले प्रेम सिंह इस सीट से 1998, 2003 और 2013 में विधायक बने।

जबकि, 2008 का चुनाव हार गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समर्थक प्रेम सिंह के मई 2017 में निधन के बाद वहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी जीते और इस बार वे फिर मैदान में हैं।

इधर, उत्तरप्रदेश से सटे इलाके चित्रकूट में बबली कोल, लवलेश कोल और साधना पटेल का गिरोह सक्रिय है। क्षेत्र में इनका खौफ बना हुआ है, लेकिन इनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। केवल लूट और अपहरण की वारदात तक ही सीमित हैं।

ददुआ के परिवार ने काटी राजनीतिक फसल

द दुआ का मध्यप्रदेश से सटे हुए उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक वर्चस्व रहा है। वहां उसके छोटे भाई बाल कुमार पटेल मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2009 से 2014 तक सांसद रहे हैं। वे अभी मध्यप्रदेश समाजवादी पार्टी की चुनाव कमेटी के सदस्य हैं।

ददुआ का बेटा वीर सिंह 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के चित्रकूट सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक रहा है। इसी तरह भतीजा राम सिंह भी 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी का विधायक रहा है।

पान सिंह तोमर के रिश्तेदार भी दूर

डाकू मनोहर सिंह गुर्जर 90 के दशक में भाजपा में शामिल हुए और 1995 में भिंड की मेहगांव नगर पालिका के अध्यक्ष बने। अब वह अपना निजी कारोबार करते हैं। पूर्व डकैत बलवंत सिंह ने बताया कि वह एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन से नाराज हैं, लेकिन किसी दल का समर्थन नहीं कर रहे हैं।

बलवंत जाने-माने डकैत पान सिंह तोमर के रिश्तेदार हैं। डॉक्टर पांडे ने बताया कि ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में डकैतों का प्रभाव अब खत्म हो गया है।

ददुआ का यूपी-एमपी में चलता था आदेश

म ध्यप्रदेश के विंध्य इलाके की चित्रकूट, सेमरिया, सिरमौर, त्योंथर और अमानगंज सीट समेत उत्तरप्रदेश के बांदा, इलाहाबाद से लेकर मिर्जापुर जिले तक कभी डकैत शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ का आदेश चलता था।

वह प्रत्याशी विशेष के समर्थन के लिए फरमान जारी करता और गिरोह इसे मतदाताओं तक पहुंचाते थे। इसी नक्शे-कदम पर अंबिका पटेल ठोकिया, बलखडिय़ा गिरोहों ने भी राजनीति में पैठ बनाने की कोशिश की।

तत्कालीन मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती के डकैतों के सफाए के अभियान में एसटीएफ ने वर्ष 2006-07 में इन सभी को मार गिराया।

पुलिस सूत्रों अनुसार इन डकैतों पर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में हत्या, अपहरण एवं डकैती के 300 से अधिक अपराध दर्ज थे। 2012-13 तक डकैत शिवकुमार पटेल के खौफ को भुनाने की कोशिश होती रही है।

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