सुदीप शुक्ला नामक यह युवक हाल ही में इंफोसिस की नौकरी छोड़कर आया है। 12 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर यह युवक अब अपने क्षेत्र की जनता के लिए काम करना चाहता है। बोलने और सुनने में अक्षम यह युवक अब लोगों की आवाज बनना चाहता है।
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पहली बार मैदान में उतरा कोई मूक-बधिर
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आज तक मध्यप्रदेश में मूक-बधिर प्रत्याशी चुनाव में खड़े नहीं हुआ। यह पहली बार है जब सतना का यह युवक चुनाव लड़ेगा।
साइन लैंग्वेज में करते हैं बात
सुदीप शुक्ला साइन लैंग्वेज में बात करते हैं। वे अपनी बात को आसनी से लोगों को पहुंचा जेते हैं। हंसमुंख और खुले विचारों के शुक्ला बताते हैं कि वे मध्यप्रदेश की सतना विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। वे निर्दलीय खड़े हो रहे हैं।
इंजीनियर सुदीप कहते हैं कि वे अब देश की सेवा करना चाहते हैं। इसलिए सिर्फ एक मौका चाहते हैं। सुदीप कहते हैं कि अक्सर देखा जाता है कि नेता चुनाव से पहले तो कई वायदे करते हैं, लेकिन बाद में अपनी जवाबदारी निभाने से कतराते हैं।
बहन भी है मूक-बधिर
सुदीप की ही तरह उसकी बहन भी सुनने और बोलने में असमर्थ है। वो भी साइन लैंग्वेज में ही अपने विचार व्यक्त कर सकती है। सुदीप के परिवार में माता-पिता, भाई, दो बहन और सुदीप की पत्नी दीपमाला भी साथ रहते हैं। परिवार का कहना है कि हम सब मिलकर प्रचार करेंगे।
पार्टी भी बनाएंगे सुदीप
सुदीप ने मीडिया को बताया कि उनकी ही तरह ही क्षेत्र कई मूक-बधिर ऐसे हैं जो चुनाव में खडा़ होना चाहते हैं, देश की सेवा करना चाहते हैं। इसलिए एक पार्टी का भी गठन करने जा रहे हैं। जिसका नाम भी तना मूकबधिर संघ तय किया गया है। इसी संघ के सदस्यों ने भी सुदीप को अपना प्रत्याशी चुना है।
अर्जुन आर्य भी लड़ेंगे चुनाव
इधर, सुदीप की तरह ही दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए अर्जुन आर्य भी ऐसे नेताओं में शामिल हो गए हैं, जो युवा हैं और पढ़े-लिखे हैं और युवाओं को अपनी और आकर्षित करते हैं। आर्य को हाल ही में समाजवादी पार्टी ने बुदनी से टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया है और कांग्रेस ज्वाइन कर ली। उनका दावा है कि वे बुदनी से चुनाव लड़कर शिवराज सरकार के सफाए का दम रखते हैं।