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भाजपा—कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार—अरुण हाशिए पर

locationभोपालPublished: Nov 05, 2018 10:15:22 pm

Submitted by:

harish divekar

कल तक प्रदेश भर के कार्यकर्ता आगे—पीछे घुमते थे, अब क्षेत्रीय नेता बनकर रह गए
 

nanad kumar and arun yadav

arun yadav and nandkumar singh chouhan latest news

मध्यप्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और अरुण यादव चुनावी परिदृश्य से पूरी तरह गायब दिख रहे हैं।

हालात यह है कि छ महिने पहले तक दोनों नेताओं के आगे—पीछे प्रदेश भर के कार्यकर्ता और नेताओं का जमावड़ा लगा रहता था।
एक फोन पर प्रदेश की अफसरशाही हिल जाती थी, लेकिन आज उनकी सुध तक नहीं ली जा रही है। दोनों अब क्षेत्रीय नेता बनकर रह गए हैं।

मजेदार बात यह है कि दोनों ही निमाड़ अंचल खंडवा और बुरहानपुर जिलों से आते हैं।
छह महीने पहले तक दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की कमान इनके हाथों में थी।
भाजपा में न तो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान की चली और न ही कांग्रेस में अरुण यादव की ज्यादा पूछ परख रही। दोनों दलों ने पूर्व प्रदेशाध्यक्षों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।
यही वजह है कि नंदकुमान चौहान ने समर्थकों के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त की थी।
विधानसभा चुनाव में नंदकुमार सिंह चौहान खुद मांधाता सीट से चुनाव लडऩे की तैयारी में थे, लेकिन पार्टी ने चौहान की हसरत पूरी नहीं होने दी।
यहां से नरेन्द्र सिंह तोमर को चुनाव मैदान में उतारकर नंदकुमार चौहान को तगड़ा झटका दे दिया है।

खास बात यह है कि निमाड़ में नंदकुमार सिंह चौहन के समर्थकों को भी टिकट नहीं दिए गए हैं।
जिससे नंदकुमार चौहान खुद अपेक्षित मान रहे हैं।

चौहान की इसी घुटन का फायदा उठाकर तथाकथित राजनीतिक विरोधियों ने उनके नाम से एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल किया।

इस पत्र को लेकर नंदकुमार पुलिस में शिकायत दर्ज करा चुके हैं।
इधर कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव भी चुनाव से पूरी तरह से दूर है। पार्टी ने उनके भाई सचिन यादव को कसरावद सीट से प्रत्याशी बनाया है।
खास बात यह है कि कांग्रेस ने अरुण यादव के अन्य किसी समर्थक को टिकट नहीं दिया है।

न ही प्रदेश नेतृत्व ने अरुण यादव को चुनाव में कोई जिम्मेदारी सौंपी है।

यही वजह है कि वे न तो पीसीसी की बैठक में शामिल रहे और न ही मप्र कांग्रेस के नेताओं के साथ चुनावी रणनीति बनाई। दोनों दलों ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को पूरी तरह से हासिये पर ला दिया है।
इस पत्र को लेकर नंदकुमार पुलिस में शिकायत दर्ज करा चुके हैं।
इधर कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव भी चुनाव से पूरी तरह से दूर है।

पार्टी ने उनके भाई सचिन यादव को कसरावद सीट से प्रत्याशी बनाया है।
खास बात यह है कि कांग्रेस ने अरुण यादव के अन्य किसी समर्थक को टिकट नहीं दिया है।

न ही प्रदेश नेतृत्व ने अरुण यादव को चुनाव में कोई जिम्मेदारी सौंपी है।

यही वजह है कि वे न तो पीसीसी की बैठक में शामिल रहे और न ही मप्र कांग्रेस के नेताओं के साथ चुनावी रणनीति बनाई। दोनों दलों ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को पूरी तरह से हासिये पर ला दिया है।
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