इन जिलों की किसी भी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत नसीब नहीं हो सकी थी। कांग्रेस के लिए इस बार भी इन जिलों को भेदना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन अगर यहां कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब होती है तो बाजी पलट सकती है।
उज्जैन, रतलाम, जैसे बड़े जिलों में भी रहा एकतरफा मुकाबला
उज्जैन, रतलाम, देवास और बैतूल यह बड़े जिले में शुमार किए जाते हैं, जहां पांच या उससे अधिक विधानसभा सीटें हैं। लेकिन वर्ष 2013 में भाजपा ने जिले की सभी सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी, किसी भी सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत हासिल करने में कामयाबी नहीं मिल सकी थी।
बैतूल जिले की 5, देवास की 5, रतलाम जिले की भी 5 सीटें भाजपा के खाते में गई थी। वहीं उज्जैन जिले की 7 में से एक भी सीट पर कांग्रेस को सफलता नहीं मिल सकी थी। यहां किसी दूसरे दल की भी दाल नहीं गली और सभी सीटें भाजपा के खाते में गई।
बाकी 10 जिलों में भी यही रहा हाल
दतिया की सभी 3 सीटें, उमरिया की 2, नरसिंहपुर की 4, होशंगाबाद की 4, रायसेन की 4, शाजापुर की 3, बुरहानपुर की 2, अलीराजपुर की 2, नीमच की 3 और आगर मालवा की सभी 2 सीट पर भाजपा को ही कामयाबी मिली थी। इन जिलों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने मुकाबला तो किया और कड़ी चुनौती भी दी, लेकिन यह चुनौती इतनी कड़ी नहीं थी कि वह जीत में तब्दील हो सके।