scriptये 14 जिले बने भाजपा—कांग्रेस के लिए चुनौती | MP Election These 14 districts form the challenge for BJP-Congress | Patrika News

ये 14 जिले बने भाजपा—कांग्रेस के लिए चुनौती

locationभोपालPublished: Oct 27, 2018 12:42:48 pm

Submitted by:

harish divekar

अभी भाजपा का है एकाधिकार, कांग्रेस लगाना चाहती है सेंध

BJP prepares to convert many Congress seats

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प्रदेश में 14 जिले ऐसे हैं जो भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बने हुए हैं।

दरअसल, इन जिलों में भाजपा का एकतरफा कब्जा है, कांग्रेस चाहकर भी इन जिलों मेंं घुसपैठ नहीं कर पाई। भाजपा इन जिलों को लेकर इसलिए परेशान है क्योंकि पार्टी के खिलाफ एंटीइंबेसी के चलते इस बार कहीं कांग्रेस घुसपैठ न कर दे, वहीं कांग्रेस की चिंता है कि यदि वह इन जिलों में एंटीइकम्बेसी के दौरान भी सेंध न लगा पाई तो भविष्य के लिए यह भाजपा का गढ़ बन जाएग़ा।
दरअसल, भाजपा ने बीते 15 साल में अपनी जड़ें कुछ जिलों में इतनी मजबूत करली हैं कि वहां कांग्रेस पिछले चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई थी।

पिछले चुनाव में किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि कांग्रेस महज 58 सोटों पर सिमट जाएगी और बीजेपी 165 सीटों के साथ सत्ता पर तीसरी बार काबिज होगी।
2013 का चुनाव कांग्रेस के लिए कितना चुनौती भरा था, यह इस बात से ही समझा जा सकता है कि भाजपा ने इस चुनाव में 14 जिलों को अभेद किले में तब्दील कर दिया था।

इन जिलों की किसी भी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत नसीब नहीं हो सकी थी। कांग्रेस के लिए इस बार भी इन जिलों को भेदना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन अगर यहां कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब होती है तो बाजी पलट सकती है।
उज्जैन, रतलाम, जैसे बड़े जिलों में भी रहा एकतरफा मुकाबला
उज्जैन, रतलाम, देवास और बैतूल यह बड़े जिले में शुमार किए जाते हैं, जहां पांच या उससे अधिक विधानसभा सीटें हैं। लेकिन वर्ष 2013 में भाजपा ने जिले की सभी सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी, किसी भी सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत हासिल करने में कामयाबी नहीं मिल सकी थी। 

बैतूल जिले की 5, देवास की 5, रतलाम जिले की भी 5 सीटें भाजपा के खाते में गई थी। वहीं उज्जैन जिले की 7 में से एक भी सीट पर कांग्रेस को सफलता नहीं मिल सकी थी। यहां किसी दूसरे दल की भी दाल नहीं गली और सभी सीटें भाजपा के खाते में गई।
बाकी 10 जिलों में भी यही रहा हाल
दतिया की सभी 3 सीटें, उमरिया की 2, नरसिंहपुर की 4, होशंगाबाद की 4, रायसेन की 4, शाजापुर की 3, बुरहानपुर की 2, अलीराजपुर की 2, नीमच की 3 और आगर मालवा की सभी 2 सीट पर भाजपा को ही कामयाबी मिली थी। इन जिलों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने मुकाबला तो किया और कड़ी चुनौती भी दी, लेकिन यह चुनौती इतनी कड़ी नहीं थी कि वह जीत में तब्दील हो सके।

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