इनक अलावा कांग्रेस के भी कुछ विधायक हैं जो इस बार हार का शिकार बन सकते हैं। मौजूदा विधासभा में 230 सीटों में से 165 बीजेपी और 58 पर कांग्रेस के विधायक हैं।
जबकि चार बीएसपी और तीन निर्दलीय हैं। हालांकि भाजपा ने इन सीटों को लेकर विशेष रणनीति तैयार कर रखी है, इसमें इनन सीटों पर बूथवार कैम्पेनिंग से लेकर मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाना शामिल है।
ऐसे समझें सीटों का गणित
पिछले चुनाव में बीजेपी 85 सीटें 50 फीसदी से कम वोटों से जीती थी।
जबकि, कांग्रेस 40 फीसदी वोटों से जीती थी। इनके अलावा 28 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार 5 हजार से 141 वोट से जीते थे। जिसे लेकर बीजेपी बैठकों में चिंता बढ़ी हुई है।
इस बार फिर कई मंत्री और विधायक इन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पांच हजार कम अंतर से जीतने वाले मंत्रियों में जयंत मलैया ( 4953 ), गौरीशंकर बिसेन (2500), ललीता यादव (2217) रुस्तम सिंह (1704) और माया सिंह (1147)। इसी प्रकार, कांग्रेस के 15 विधायक भी कम मार्जिन से जीते थे। इनमें कांग्रेस संकट मोचक रामनवास रावत (2149), सुंदरलाल तिवारी (1382) और तरुण भानोट (923) शामिल हैं।
जबकि, तीन बीएसपी और एक आजाद विधायक ने भी पिछला चुनाव पांच हजार से कम वोटों से जीता था। बसपा के विधायक उषा चौधरी (410 9), बलबीर सिंह दंडतिया (2106) और शीला त्यागी (275) ने कम मार्जिन के साथ चुनाव जीते, जबकि निर्दलीय विधायक सुदेश राय ने भी 1626 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था।